'याबा’ गोलियों क बरामदगी से जुड़े मादक पदार्थों के मामले में पुलिस ने लिया ये एक्शन

डीएन ब्यूरो

उच्चतम न्यायालय ने 1,542 ‘याबा’ गोलियों की कथित बरामदगी से जुड़े मादक पदार्थ मामले में एक महिला की गिरफ्तारी को ‘‘पूरी तरह अनावश्यक’’ और ‘‘अति’’ करार दिया और कहा कि प्रथम दृष्टया लगता है कि पुलिस ने तीन नाबालिग बच्चों के साथ आरोपी महिला को हिरासत में लेने के दौरान अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

उच्चतम न्यायालय
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नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने 1,542 ‘याबा’ गोलियों की कथित बरामदगी से जुड़े मादक पदार्थ मामले में एक महिला की गिरफ्तारी को ‘‘पूरी तरह अनावश्यक’’ और ‘‘अति’’ करार दिया और कहा कि प्रथम दृष्टया लगता है कि पुलिस ने तीन नाबालिग बच्चों के साथ आरोपी महिला को हिरासत में लेने के दौरान अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया।

‘याबा’, मेथामफेटामाइन और कैफीन का एक संयोजन है, जो गोली के रूप में बेचा जाता है। इसका उत्पादन दक्षिण-पूर्व और पूर्वी एशिया में होता है।

उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में दर्ज मामले के सिलसिले में पिछले साल दिसंबर में आरोपी महिला को दी गई अंतरिम जमानत को जारी रखा, जिसे स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था।

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न्यायमूर्ति एस.आर. भट और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि यह आरोप लगाया गया था कि महिला 28 मई, 2022 को एक कार में अपने पति के साथ यात्रा कर रही थी और जब उन्हें रोका गया, तो उसके पति के कब्जे से 1,542 ‘याबा’ की गोलियां बरामद की गईं।

पीठ ने कहा कि महिला, उसके पति और 16 महीने के बच्चे सहित तीन नाबालिग बच्चों को हिरासत में लिया गया।

पीठ ने एक मार्च के अपने आदेश में कहा, ‘‘याचिकाकर्ता (महिला) का किसी भी अपराध में शामिल होने का कोई पिछला इतिहास नहीं है। रिकॉर्ड में दर्ज गिरफ्तारी मेमो से पता चलता है कि याचिकाकर्ता को बच्चों के साथ हिरासत में लिया गया था।’’

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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार महिला ने याचिका दायर कर कलकत्ता उच्च न्यायालय के पिछले साल नवंबर के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसे जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।










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