पीलीभीत टाइगर रिजर्व: नेपाल के गैंडों को भा गया भारत में लग्गा-भग्गा का जंगल

डीएन ब्यूरो

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में पड़ोसी देश नेपाल की रायल शुक्ला फाटा सेंचुरी के 17 गैंडों को पीलीभीत टाइगर रिजर्व का लग्गा भग्गा क्षेत्र ऐसा भा गया है कि अब वे इसी जंगल में आवाजाही करते हैं। पढ़िए पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

नेपाल के गैंडों को भा गया भारत में लग्गा भग्गा का जंगल (फाइल फोटो)
नेपाल के गैंडों को भा गया भारत में लग्गा भग्गा का जंगल (फाइल फोटो)


पीलीभीत: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में पड़ोसी देश नेपाल की रायल शुक्ला फाटा सेंचुरी के 17 गैंडों को पीलीभीत टाइगर रिजर्व का लग्गा भग्गा क्षेत्र ऐसा भा गया है कि अब वे इसी जंगल में आवाजाही करते हैं। इसका खुलासा जंगल में बाघों की गणना के लिये लगाये गये कैमरों ने किया। अब नेपाल के इन गैंडों को भारतीय बनाने के प्रयास शुरू कर दिये गये हैं। इसके लिए वन अफसर रिसर्च में जुटे हैं।

दरअसल नेपाल की रायल शुक्ला फाटा सेंचुरी, शारदा नदी के पार पीलीभीत टाइगर रिजर्व के लग्गा भग्गा क्षेत्र से

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सटी हुई है। जहां 1905,20 हेक्टेयर क्षेत्र में घास के मैदान और जलाशयों के दलदलीय क्षेत्र है, जो की गैडों को बहुत पसंद है। जिसमें 17 गेंडे अक्सर नेपाल स्थित अपने मूल स्थान से भारतीय सीमा में आवाजाही करते रहते हैं।

वन अफसरों का कहना है इस क्षेत्र में जाड़े के दिनों में गैंडे आये थे। इसका खुलासा शुक्ला फाटा में गत दिनों बाघों की गणना के लिये लगाये गयेे कैमरों से हुआ। अब यह कोशिश हो रही है कि येे गेंडे लग्गा भग्गा में ही रहें और पीलीभीत टाइगर रिजर्व के ही होकर रह जायें। इसके लिए इइन गेंडों के मन मुताबिक घास के मैदानों आदि को विकसित किया जा रहा है।

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वन अफसरों ने इसके लिये रिसर्च शुरू कर दी है। उन्हें उम्मीद है कि इस दिशा में सफलता अवश्य मिलेगी।

पीलीभीत टाइगर रिजर्व के प्रभागीय वनाधिकारी नवीन खंडेलवाल ने बताया कि नेपाल की से गैंडे अक्सर लग्गा भग्गा क्षेत्र में आते हैं। इन गेड़ों को यहीं रोकने के लिए एक वातावरण तैयार किया जायेगा। उसके लिए सभी जरूरी प्रयास किये जायेंगे।

गौरतलब है कि इसी तर्ज पर दुधवा राष्ट्रीय अभयारण्य में हाथियों को भी रिझाया गया था। जिस तरह पीलीभीत टाइगर रिजर्व में नेपाली गेडों को अपना बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं, इसी तरह नेपाल से हाथी भी दुधवा नेशनल पार्क में आते थे। उन्हें दुधवा का जंगल काफी पसंद आया और वे यहीं के हो गये। (यूनिवार्ता)










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