दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज की ये जनहित याचिका, जानिये पॉलीग्राफी और नार्को जांच से जुड़ा मामला

डीएन ब्यूरो

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को वह जनहित याचिका खारिज कर दी, जिसमें पुलिस को जांच के दौरान आरोप साबित करने के लिए शिकायतकर्ताओं से यह पूछने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि क्या वे नार्को विश्लेषण, पॉलीग्राफ और ‘ब्रेन-मैपिंग’ जैसे वैज्ञानिक परीक्षण कराने की इच्छुक हैं। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को वह जनहित याचिका खारिज कर दी, जिसमें पुलिस को जांच के दौरान आरोप साबित करने के लिए शिकायतकर्ताओं से यह पूछने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि क्या वे नार्को विश्लेषण, पॉलीग्राफ और ‘ब्रेन-मैपिंग’ जैसे वैज्ञानिक परीक्षण कराने की इच्छुक हैं।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने 15 मई को इस याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।

इससे पहले याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था, ‘‘हम सांसद/विधायक नहीं हैं,’’ और याचिकाकर्ता को योग्यता के आधार पर अपना मामला स्थापित करना होगा।

उपाध्याय ने पुलिस को शिकायतकर्ता से यह पूछने का निर्देश देने का अनुरोध किया कि ‘‘क्या वह (महिला शिकायतकर्ता) अपना आरोप साबित करने के लिए जांच के दौरान नार्को विश्लेषण, पॉलीग्राफ और ब्रेन मैपिंग जैसे वैज्ञानिक परीक्षणों से गुजरने को तैयार है और प्राथमिकी में अपना बयान दर्ज करा सकती है।’’

याचिकाकर्ता ने कहा था कि इसी तरह के निर्देश एक आरोपी के संबंध में दिए जाएं और उसका बयान आरोप-पत्र में दर्ज किया जाए।

उन्होंने कहा कि यह एक निवारक के रूप में काम करेगा और फर्जी मामलों को कम करेगा।










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