Parliament Monsoon Session: डिजिटल डेटा संरक्षण विधेयक को लेकर जानिये कांग्रेस ने क्यों उठाये सवाल
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने डिजिटल डेटा संरक्षण विधेयक को वित्तीय विधेयक के रूप में वर्गीकृत किए जाने पर सवाल उठाते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि इस विधेयक को नियमित विधेयक माना जाना चाहिए। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने डिजिटल डेटा संरक्षण विधेयक को वित्तीय विधेयक के रूप में वर्गीकृत किए जाने पर सवाल उठाते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि इस विधेयक को नियमित विधेयक माना जाना चाहिए।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार तिवारी ने कहा कि यह विधेयक फिर से संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा जाना चाहिए।
इस विधेयक का उद्देश्य इंटरनेट कंपनियों, मोबाइल ऐप और व्यावसायिक घरानों आदि को गोपनीयता के अधिकार के तहत नागरिकों के डेटा को इकट्ठा करने, उनका भंडारण करने और उसके इस्तेमाल को लेकर अधिक जवाबदेह बनाना है।
तिवारी ने कहा, ‘‘डिजिटल डेटा संरक्षण विधेयक को अचानक वित्तीय विधेयक के रूप में कैसे वर्गीकृत किया गया?’’
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तिवारी ने कहा, ‘‘इसे एक नियमित विधेयक माना जाना चाहिए और दोबारा जेपीसी के पास भेजा जाना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यदि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला इस विधेयक के पारित होने पर इसे धन विधेयक के रूप में प्रमाणित करते हैं, जो इसे वित्तीय विधेयक के रूप में वर्गीकृत करने का मकसद प्रतीत होता है, तो राज्यसभा इस पर मतदान नहीं कर सकता। वह लोकसभा में केवल गैर-बाध्यकारी बदलावों की सिफारिश कर सकती है।’’
उन्होंने इस विधेयक को धन विधेयक के रूप में वर्गीकृत करने संबंधी राष्ट्रपति के आदेश की एक प्रति साझा की।
पंजाब से सांसद तिवारी ने कहा कि यह कदम ‘‘ डेटा संरक्षण विधेयक को लेकर संसद की संयुक्त समिति द्वारा दो भाजपा सदस्यों पी पी चौधरी और मीनाक्षी लेखी के नेतृत्व में किए गए प्रयासों का मजाक उड़ाता है।’’
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उच्चतम न्यायालय ने एक फैसला सुनाते हुए कहा था कि निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, जिसके बाद डेटा संरक्षण विधेयक पर काम शुरू हुआ।
सरकार ने पिछले साल अगस्त में व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक वापस ले लिया था, जिसे पहली बार 2019 के अंत में पेश किया गया था और उसने नवंबर 2022 में मसौदा विधेयक का एक नया संस्करण जारी किया था।