महंगाई, बेरोजगारी और यूसीसी को लेकर केंद्र पर ओवैसी का हमला, कही ये बड़ी बात
समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने के प्रस्ताव को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन(एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को कहा कि ‘‘गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई और चीनी घुसपैठ’’ जैसे मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए यूसीसी की बात की जा रही है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
हैदराबाद: समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने के प्रस्ताव को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन(एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को कहा कि ‘‘गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई और चीनी घुसपैठ’’ जैसे मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए यूसीसी की बात की जा रही है।
हैदराबाद के सांसद ओवैसी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह जल्द ही आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी से मिलकर उनका समर्थन मांगेंगे और अनुरोध करेंगे कि अगर संसद में यूसीसी के संबंध में कोई विधेयक पेश किया जाता है तो रेड्डी की पार्टी उसके खिलाफ वोट करे।
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी एआईएमआईएम ने यूसीसी पर सुझावों के लिए विधि आयोग की अपील के बाद इस विषय पर उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश गोपाल गौड़ा की कानूनी राय के साथ अपनी प्रतिक्रिया भेजी है।
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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, ओवैसी ने यूसीसी पर राय भेजने के विधि आयोग के अनुरोध को महत्वपूर्ण मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने की ‘राजनीतिक कवायद’ करार दिया।
उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले इस मुद्दे को सामने लाने को लेकर केंद्र की मंशा पर भी सवाल उठाया।
ओवैसी ने कहा, ‘‘यह कोई संयोग नहीं है कि ठीक पांच साल बाद फिर से विधि आयोग यह कवायद कर रहा है। आम चुनाव से पांच या छह महीने पहले भाजपा इस मुद्दे को उठाती है। इसका उद्देश्य माहौल को खराब करना और मतदाताओं का ध्रुवीकरण करना है ताकि वह (भाजपा) आने वाले 2024 के चुनावों में राजनीतिक लाभ ले सकें।’’
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उत्तराखंड में यूसीसी लागू करने संबंधी उत्तराखंड सरकार के फैसले पर उन्होंने न्यायमूर्ति गोपाल गौड़ा की कानूनी राय का हवाला देते हुए कहा कि यह कानून की नजर में टिकाऊ नहीं है।
एआईएमआईएम द्वारा विधि आयोग को सौंपी गई प्रतिक्रिया में सवाल उठाया कि क्या यूसीसी भारतीय संविधान के कुछ प्रावधानों का उल्लंघन नहीं करेगा और यदि कुछ समूहों के लिए अपवाद बनाए जा सकते हैं - तो ऐसे अपवादों का आधार क्या होगा।
पार्टी ने मांग की है कि विधि आयोग इन संदेहों को दूर करे।