आद्रवन लेहड़ा मंदिर में चैत्र नवरात्रि पर उमड़ा आस्था का सैलाब, जानिए मंदिर से जुड़ा ये रोचक इतिहास

चैत्र नवरात्रि के पहले दिन महराजगंज जनपद में स्थित आद्रवन लेहड़ा मंदिर में आस्था का सैलाब देखने को मिला। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी ख़बर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 30 March 2025, 4:22 PM IST

महराजगंज: जनपद मुख्यालय से 44 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बृजमनगंज क्षेत्र के आद्रवन लेहड़ा मंदिर पर चैत्र नवरात्रि के पहले दिन में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। भक्तों ने बड़ी संख्या में माता के दरबार में अपना माथा टेका। लोगों की गगन भेदी जयकारे से माहौल भक्तिमय बना गया।

यहां पहुंचे भक्त ललाट पर लाल चंदन वह चुनरी बंदे भक्तजन माता के दरबार में जहां एक तरफ नारियल चढ़ा रहे थे वहीं दूसरी तरफ कपूर अगरबत्ती जलाकर मनवांछित फल की कामना से माता से अनुनय विनय करते देखे गए।

क्या है मंदिर का इतिहास
लेहड़ा मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। मंदिर के पुजारी ओमप्रकाश पांडे द्वारा डाइनामाइट न्यूज़ को मिली जानकारी के अनुसार महाभारत काल में पांडवों ने माता का दर्शन किया था। दर्शन के बाद पांडवों ने महाभारत का युद्ध लड़ा था।

माता के आशीर्वाद के कारण पांडवों को विजय भी मिली थी। उसी के बाद से लोगों का आस्था इधर बढ़ा और धीरे-धीरे लोग आने लगे। उसके बाद जंगल की साफ सफाई होने लगी और फिर इस स्थान ने मंदिर का रूप धारण कर लिया। 

अदरोना जंगल से नाम पड़ा आद्रवन
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के मुताबिक मंदिर जिस जंगल क्षेत्र के अंतर्गत आता है उसको आद्रवन जंगल के नाम से जाना जाता है। जिसके कारण यह मंदिर एक और नाम आद्रवन देवी के नाम से भी विख्यात हो गया।

नाविक को मिला था श्राप
पुराने समय में माता ने लेहड़ा मंदिर से सटे बगल से बहने वाली नदी को पार करने के लिए नाविक से गुहार लगाई थी। नाविक ने पार तो कराया लेकिन माता के प्रति गलत आचरण रखा।जिससे नाराज होकर माता ने उसे श्राप दे दिया। जिसके बाद नाविक ने वही पत्थर की मूर्ति का रूप धारण कर लिया। श्रापित होने के बावजूद वह पत्थर पूजा जाने लगा।

Published : 
  • 30 March 2025, 4:22 PM IST