ओडिशा : सड़कें बाढ़ के पानी में डूबने से टैंकरों की आवाजाही रुकी, पेयजल की किल्लत

डीएन ब्यूरो

ओडिशा में बाढ़ से प्रभावित लोगों को पेयजल की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है और कई लोग बाढ़ का पानी उबालकर पीने को मजबूर हैं, जबकि अन्य लोगों को इसके सेवन से जल-जनित बीमारियाँ होने का डर है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट:

बाढ़ के पानी में डूबने से टैंकरों की आवाजाही रुकी
बाढ़ के पानी में डूबने से टैंकरों की आवाजाही रुकी


भुवनेश्वर: ओडिशा में बाढ़ से प्रभावित लोगों को पेयजल की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है और कई लोग बाढ़ का पानी उबालकर पीने को मजबूर हैं, जबकि अन्य लोगों को इसके सेवन से जल-जनित बीमारियाँ होने का डर है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, सरकार का कहना है कि वह बाढ़ प्रभावित इलाकों में पानी के टैंकर भेज रही है, लेकिन प्रभावित लोगों ने बताया कि सड़कें जलमग्न होने के कारण टैंकर उन तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। प्रमुख नदियों में जल स्तर घट गया है, लेकिन 75 अन्य गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं।

रविवार को जारी एक आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, 11 जिलों में कुल 6.24 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। प्रभावित लोगों ने पास के स्कूलों में शरण ली है जो बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं।

केंद्रपाड़ा जिले के राजनगर ब्लॉक में संथापाड़ा गांव के 68 वर्षीय कालंदी बारिक ने कहा, 'हमारे इलाके में मेरा घर और ट्यूबवेल बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं। हमारे पास पीने का पानी नहीं है। हम बाढ़ के पानी को ही उबालकर पी रहे हैं।' बारिक की तरह केंद्रपाड़ा, जगतसिंहपुर, पुरी और खुर्दा जिलों वाले महानदी डेल्टा क्षेत्र में कई अन्य प्रभावित लोग भी इस समस्या का सामना कर रहे हैं।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गणेश्वर बेहरा ने बाढ़ से प्रभावित कई क्षेत्रों का दौरा किया और कहा कि प्रभावित लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, और पीने के पानी की कमी उनमें से सबसे बड़ी दिक्कत है। उन्होंने बताया कि लोग जल-जनित बीमारियों के फैलने के डर से बाढ़ का पानी पीने से डरते हैं।

एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने यहां बताया कि ग्रामीण जल आपूर्ति एवं स्वच्छता (आरडब्ल्यूएसएस) विभाग को बाढ़ प्रभावित लोगों तक दवाओं की आपूर्ति करने का निर्देश दिया गया है। केंद्रपाड़ा के उप जिला कलेक्टर निरंजन बेहेरा ने कहा कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में पीने के पानी के टैंकर भेजे जा रहे हैं। लेकिन प्रभावित लोगों का कहना है कि सड़कें पानी में डूबी होने की वजह से टैंकर उन तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।

विशेष राहत आयुक्त (एसआरसी) कार्यालय ने कहा कि 75 और गांव बाढ़ के पानी की चपेट में आ गए हैं, जिससे रविवार को प्रभावित गांवों की कुल संख्या 1,973 हो गई है। बाढ़ से प्रभावित शहरी क्षेत्रों की संख्या 26 पर अपरिवर्तित रही। एसआरसी कार्यालय ने एक रिपोर्ट में बताया कि बाढ़ से प्रभावित लोगों की संख्या शनिवार को 5.73 लाख थी जो बढ़कर रविवार को 6.24 लाख हो गई है।

एक अधिकारी ने बताया कि सरकार ने शनिवार से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से निकाले गए 912 अन्य लोगों के लिए सात और मुफ्त रसोई की व्यवस्था की है। इस बीच, हीराकुंड बांध के अधिकारियों ने 20 गेट खोलकर महानदी के निचले हिस्से में अतिरिक्त पानी छोड़ दिया है। हीराकुंड बांध के जलाशय में जल स्तर सोमवार को जलाशय के पूर्ण जलस्तर 630 फुट के मुकाबले 621 फुट रहा।

जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता रंजन मोहंती ने कहा 'चूंकि पानी का प्रवाह कम हो गया है, हमें उम्मीद है कि हम अपना लक्ष्य स्तर बनाए रखेंगे। महानदी के ऊपरी हिस्से में कोई भारी बारिश नहीं हुई है। इसलिए, बाढ़ की स्थिति स्थिर है और अगले तीन दिनों तक कोई खतरा नहीं है।' कटक के पास मुंडाली में अब लगभग तीन लाख क्यूसेक पानी बह रहा है।

 

 










संबंधित समाचार