पुंछ में सेना के अधिकारियों को बदलकर कुछ हासिल नहीं होगा: फारूक अब्दुल्ला

डीएन ब्यूरो

नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि पुंछ में नागरिकों की मौत के मामले में सेना के अधिकारियों को हटाने से कुछ हासिल नहीं होगा और उन्होंने यह पता लगाने के लिए जांच कराने की मांग की है कि निर्दोष लोगों को प्रताड़ित करके उनकी जान क्यों ले ली गई। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला


श्रीनगर: नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि पुंछ में नागरिकों की मौत के मामले में सेना के अधिकारियों को हटाने से कुछ हासिल नहीं होगा और उन्होंने यह पता लगाने के लिए जांच कराने की मांग की है कि निर्दोष लोगों को प्रताड़ित करके उनकी जान क्यों ले ली गई।

पुंछ में गत बृहस्पतिवार को सेना के दो वाहनों पर आतंकवादी हमले के बाद पूछताछ के लिए सेना अपने साथ कुछ नागरिकों को ले गई थी जिनमें से तीन बाद में मृत पाए गए।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार अब्दुल्ला ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘शांतिप्रिय नागरिक थे। उनमें से आठ को ले जाया गया और तीन को इतनी बेरहमी से पीटा गया तथा उनके जख्मों पर मिर्च पाउडर डाला गया। तीन लोग प्रताड़ना को बर्दाश्त नहीं कर सके और उनकी मौत हो गई।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पांच अन्य अस्पताल में हैं। एक मृतक का भाई बीएसएफ में है और पिछले 24 साल से सेवा कर रहा है। अब वह कह रहा है कि देश की सेवा के बदले में उसे भाई की मौत मिली है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सेना प्रमुख यहां से ‘नार्दन कमांडर’ को देहरादून की अकादमी ले गए लेकिन इससे समस्या का हल नहीं होगा। जांच होनी चाहिए कि ऐसा क्यों हुआ?’’

अब्दुल्ला ने कहा कि अगर बेगुनाह लोग मारे जा रहे हैं जिनका आतंकवाद से कोई लेनादेना नहीं है, तो हम कैसे भारत में रह रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘क्या यह महात्मा गांधी का भारत है जहां हम शांति के साथ रह सकते हैं? नफरत इतनी बढ़ गई है कि हिंदू और मुसलमान सोचते हैं कि वे एक दूसरे के दुश्मन हैं।’’

पूर्व मुख्यमंत्री ने जम्मू कश्मीर में आतंकवाद खत्म होने के भाजपा के दावों को खारिज कर दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘चार साल पहले, गृह मंत्री ने चेन्नई में एक भाषण दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के लिए अनुच्छेद 370 जिम्मेदार है और अब जम्मू कश्मीर में आतंकवाद खत्म हो जाएगा तथा वहां विकास किया जा रहा है।’’

अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘चार साल बाद उन्होंने संसद में भाषण में कहा कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा था। वे इस कदर झूठ बोल रहे हैं। आतंकवाद समाप्त नहीं हुआ है और यह बढ़ रहा है। प्रशिक्षित (आतंकी) लोग आते हैं और पकड़े नहीं जाते। बेगुनाह लोगों को निशाना बनाया जा रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं एक बार फिर कह रहा हूं कि जब तक ऐसा माहौल नहीं बनाया जाता जिसमें इसे (आतंकवाद को) समाप्त करने का रास्ता निकालने के लिए बातचीत हो सकती है, तब तक यह खत्म नहीं होगा।’’

संसद से विपक्षी सांसदों के निलंबन पर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वे सभी संसद सुरक्षा चूक मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग कर रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘दो लोग आए। उन्होंने बेरोजगारी का मुद्दा उठाया। हालांकि, वे अंदर आ गए। वे अंदर कैसे आए? कल कोई हथियार लेकर आ सकता है। जिस तरह उन्होंने धुआं उड़ाया, यह जहरीला हो सकता था। सभी खतरे में थे। हमने गृह मंत्री से बयान देने को कहा था। हमें उनसे झगड़ा नहीं करना था, केवल उनकी बात सुनना चाहते थे।’’

क्या भारत को पाकिस्तान के साथ बातचीत करनी चाहिए, इस सवाल के जवाब में अब्दुल्ला ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के इस मशहूर बयान का उल्लेख किया, ‘‘हम दोस्त बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं बदल सकते।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम पड़ोसियों के साथ दोस्ती से रहेंगे तो हम दोनों खुशहाल रहेंगे, लेकिन अगर हम दुश्मनी के साथ रहेंगे तो हम तेजी से तरक्की नहीं कर सकते। मोदीजी ने भी कहा है कि अब युद्ध का विकल्प नहीं बचा है और बातचीत से मुद्दों को सुलझाना होगा। अब वो बयान कहां गया?’’

अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘इमरान खान को छोड़िए। अब नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं और वे पुरजोर आवाज में कह रहे हैं कि वे बातचीत के लिए तैयार हैं। हम बातचीत क्यों नहीं कर रहे? अगर हम इसे वार्ता के जरिये नहीं सुलझाते तो मुझे कहते हुए दुख हो रहा है कि हमें वैसे ही हालात का सामना करना पड़ेगा जैसा गाजा में फलस्तीनियों के साथ हर दिन हो रहा है। कुछ भी हो सकता है। अल्लाह हम पर रहम करे।’’

क्या पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के जेल से रिहा होने का हालात पर असर पड़ेगा, इस बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा कि यह स्वागत योग्य है।

उन्होंने कहा, ‘‘अल्लाह का शुक्र है कि वह (इमरान) मारे नहीं गए। मुझे उम्मीद है कि वह चुनाव में हिस्सा लेंगे और जनता तथा पाकिस्तान की बेहतरी के लिए काम करेंगे। वे हमारे पड़ोसी हैं।’’










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