क्वाड समूह के नेता हिन्द प्रशांत सहयोग को और प्रगाढ़ बनाने के रास्तों पर कल करेंगे चर्चा
क्वाड समूह के नेताओं की मौजूदगी में मंगलवार को होने वाली बैठक में मुक्त, खुले एवं समावेशी हिन्द प्रशांत के लिये सहयोग को और मजबूत बनाने के उद्देश्य से दीर्घकालिक सामरिक आधार तैयार करने तथा यूक्रेन के खिलाफ रूस के सैन्य अभियान जैसे मुद्दों के चर्चा के केंद्र में रहने की उम्मीद है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नयी दिल्ली: क्वाड समूह के नेताओं की मौजूदगी में मंगलवार को होने वाली बैठक में मुक्त, खुले एवं समावेशी हिन्द प्रशांत के लिये सहयोग को और मजबूत बनाने के उद्देश्य से दीर्घकालिक सामरिक आधार तैयार करने तथा यूक्रेन के खिलाफ रूस के सैन्य अभियान जैसे मुद्दों के चर्चा के केंद्र में रहने की उम्मीद है।
क्वाड समूह के नेताओं की यह बैठक जापान के तोक्यो में हो रही है जिसमें समूह के नेताओं की मौजूदगी रहेगी । इस समूह में भारत के अलावा अमेरिका आस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं । इस बैठक में समूह के नेता यह बताएंगे कि उनकी यह भागीदारी वैश्विक बेहतरी की ताकत’ है और चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच कानून आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए उनकी एकजुट प्रतिबद्धता है ।
यह शिखर बैठक ऐसे समय में हो रही है जब पिछले कुछ वर्षों में चीन की ओर से लोकतांत्रिक मूल्यों को चुनौती देने और प्रतिरोधी कारोबार व्यवस्था अपनाने की बातें सामने आने के साथ ही उसके और समूह के सदस्य देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हुए हैं ।
शिखर बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिन्द प्रशांत को लेकर भारत का दृष्टिकोण रखने के साथ ही लचीली आपूर्ति श्रृंखला सहित बहु आयामी क्षेत्रों में सहयोग को गति देने के रास्तों के बारे में भी विचार रख सकते हैं ।
जापान रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बयान में कहा था कि जापान में यह शिखर बैठक क्वाड देशों के नेताओं को क्वाड पहल की प्रगति की समीक्षा करने का अवसर उपलब्ध कराएगी।
उन्होंने कहा था कि हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र के घटनाक्रम तथा परस्पर हित के वैश्विक मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।
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मोदी ने कहा था राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ द्विपक्षीय बैठक करूंगा, जहां हम अमेरिका के साथ अपने विभिन्न पहलुओं वाले द्विपक्षीय संबंधों को और सुदृढ़ बनाने पर चर्चा करेंगे। हम क्षेत्रीय विकास और समसामयिक वैश्विक मुद्दों पर भी अपना संवाद जारी रखेंगे।
इस बात के मजबूत संकेत है कि चार देशों का क्वाड समूह उभरती प्रौद्योगिकी, आपूर्ति श्रृंखला, सुरक्षा, स्वच्छ ऊर्जा, सम्पर्क, डिजिटल कारोबार आधारभूत ढांचा सहित अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का संकल्प व्यक्त कर सकते हैं ।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन इस शिखर बैठक में हिन्द प्रशांत क्षेत्र के बारे में वाशिंगटन की मजबूत प्रतिबद्धता प्रदर्शित कर सकते हैं ।
इस क्षेत्र के लिये दीर्घकालिक सोच के अनुरूप अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने सोमवार को 12 हिंद-प्रशांत देशों के साथ एक नए व्यापार समझौते की शुरुआत की जिसका मकसद उनकी अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करना है।
उन्होंने बढ़ती मुद्रास्फीति पर अमेरिकी नागरिकों को चेतावनी देते हुए कहा कि कि इस मोर्चे पर राहत मिलने से पहले उन्हें थोड़ा दर्द सहना होगा।
समृद्धि के लिये हिंद प्रशांत आर्थिक रूपरेखा (आईपीईएफ) की शुरुआत के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज इस महत्वपूर्ण समारोह में आप सभी के साथ जुड़कर मुझे खुशी हो रही है। हिंद-प्रशांत आर्थिक रूपरेखा इस क्षेत्र को वैश्विक आर्थिक वृद्धि का इंजन बनाने की हमारी सामूहिक इच्छाशक्ति को दर्शाती है।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत एक समावेशी और मजबूत हिंद प्रशांत आर्थिक ढांचे के निर्माण के लिए आप सभी के साथ काम करेगा।
उन्होंने कहा मेरा मानना है की हमारे बीच जुझारू आपूर्ति श्रृंखला के तीन मुख्य आधार होने चाहिए: विश्वास पारदर्शिता और सामयिकता।
पिछले सप्ताह विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा था, ‘‘क्वाड सहयोग साझा मूल्यों और लोकतंत्र के सिद्धांतों, अंतरराष्ट्रीय कानून नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के साथ-साथ स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाता है।
उन्होंने कहा पहले शिखर सम्मेलन के बाद से क्वाड हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति समृद्धि और स्थिरता का माहौल बनाने पर एक मजबूत फोकस के साथ सकारात्मक और रचनात्मक एजेंडे को लागू करने के लिए काम कर रहा है।
अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष के साथ मोदी की प्रस्तावित द्विपक्षीय बैठक पर क्वात्रा ने ऑस्ट्रेलिया में आम चुनावों का उल्लेख किया। इस शिखर बैठक में आस्ट्रेलिया के नवनियुक्त प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज शामिल होंगे ।
क्वाड के अन्य सहयोगी देशों के विपरीत भारत ने अभी तक यूक्रेन के खिलाफ रूस के सैन्य अभियान की निंदा नहीं की है और रूसी हमले को लेकर संयुक्त राष्ट्र के मंच पर मतदान के दौरान भारत अनुपस्थित रहा था । भारत ने यूक्रेन में हिंसा रोकने तथा बातचीत एवं कूटनीति के जरिये संकट का समाधान निकालने पर जोर दिया है। (भाषा)