Cash For Query Case: टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द, लोकसभा में प्रस्ताव मंजूर
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट लोकसभा में पेश होने के बाद उनको संसद सदस्य के रूप में निष्कासित करने का प्रस्ताव रखा गया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नई दिल्ली: पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के कथित आरोपों से घिरी टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने का प्रस्ताव सदन में रखा गया। चर्चा के बाद इस प्रस्ताव को लोकसभा में मंजूर कर लिया गया, जिसके बाद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई।
संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी की सिफारिश पर महुआ मोइत्रा के निष्कासन को लोकसभा में मंजूर कर लिया गया।
#MahuaMoitra: टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने के प्रस्ताव पर वोटिंग की प्रक्रिया शुरू#LokSabha #CashForQueryScam pic.twitter.com/9TP9IccScN
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) December 8, 2023
इसके साथ ही लोकसभा की कार्यवाही सोमवार तक के लिये स्थगित कर दी गई।
विपक्ष विशेषकर तृणमूल कांग्रेस ने आसन से कई बार यह आग्रह किया कि मोइत्रा को सदन में उनका पक्ष रखने का मौका मिले, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पहले की संसदीय परिपाटी का हवाला देते हुए इससे इनकार कर दिया।
#CashForQuery: लोकसभा से निष्कासन और संसद सदस्यता खत्म होने के बाद बोलीं महुआ मोइत्रा, मेरे खिलाफ कैश या गिफ्ट के कोई सबूत नहीं मिले, कमेटी ने गहन जांच नहीं की#MahuaMoitra #LokSabha pic.twitter.com/eALCIT9hWu
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इससे पहले महुआ मोइत्रा के खिलाफ संसद में एथिक्स कमेटी ने अपनी रिपोर्ट पेश की। जिस पर लोकसभा में चर्चा हुई। टीएम सांसदों ने लोक सभा में जमकर हंगामा भी किया।
#MahuaMoitra: लोकसभा में टीएमसी की मांग, महुआ मोइत्रा को अपनी बात रखने की इजाजत दी जाए, लोकसभा में एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट और प्रस्ताव पर चर्चा जारी#cashforquery #LokSabha pic.twitter.com/MbaQojYMU1
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भाजपा सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली आचार समिति ने गत नौ नवंबर को अपनी एक बैठक में मोइत्रा को ‘पैसे लेकर सदन में सवाल पूछने’ के आरोपों में लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश वाली रिपोर्ट को स्वीकार किया था।
समिति के छह सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में मतदान किया था। इनमें कांग्रेस से निलंबित सांसद परणीत कौर भी शामिल थीं। समिति के चार विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट पर असहमति नोट दिए थे।
विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट को ‘फिक्स्ड मैच’ करार देते हुए कहा था कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की जिस शिकायत पर समिति ने विचार किया, उसके समर्थन में ‘सबूत का एक टुकड़ा’ भी नहीं था।