

जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने रविवार को यहां 30वें सेना प्रमुख के रूप में अपना कार्यभार संभाल लिया। उन्हें जनरल मनोज पांडे के स्थान पर नियुक्त किया गया है ,जो चार दशकों से भी अधिक लंबी विशिष्ट सेवा के बाद सेवानिवृत हो गये। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नयी दिल्ली: जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने रविवार को यहां 30वें सेना प्रमुख के रूप में अपना कार्यभार संभाल लिया। उन्हें जनरल मनोज पांडे के स्थान पर नियुक्त किया गया है ,जो चार दशकों से भी अधिक लंबी विशिष्ट सेवा के बाद सेवानिवृत हो गये।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार जनरल मनोज पांडे ने यहां साउथ ब्लाक स्थित रक्षा मंत्रालय के कार्यालय में जनरल द्विवेदी को सेना की कमान सौंपी। जनरल पांडे का कार्यकाल पिछले महीने पूरा होना था, लेकिन लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उन्हें एक महीने का सेवा विस्तार दिया गया था।
चालीस वर्षो से सेना में कार्यरत जनरल द्विवेदी एक कुशल सैन्य नेता हैं। वह सैनिक स्कूल, रीवा (मध्य प्रदेश) के पूर्व छात्र रहे हैं और उन्हें 1984 में जम्मू-कश्मीर राइफल्स रेजिमेंट में कमीशन दिया गया था। उन्हें उत्तरी, पूर्वी और पश्चिमी थिएटर कमानों में कार्य करने का अनूठा गौरव प्राप्त है।
जनरल द्विवेदी ने ऐसे समय में सेना की कमानी संभाली है जब वैश्विक भू-रणनीतिक माहौल निरंतर बदल रहा है , तकनीकी प्रगति और आधुनिक युद्ध के लगातार बदलते चरित्र के कारण सुरक्षा क्षेत्र में चुनौतियां अधिक स्पष्ट हो रही हैं।
जनरल द्विवेदी को प्रभावी ढंग से योजना बनाने और उन्हें क्रियान्वित करने का भरपूर अनुभव है।
नये सेना प्रमुख को सुरक्षा क्षेत्र में आधुनिक और उभरती प्रौद्योगिकियों की गहरी समझ है, और संचालन प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को सैन्य प्रणालियों में उपयोग करने और एकीकृत करने का उनका विचारशील दृष्टिकोण है।
यह दृष्टिकोण आत्मनिर्भरता के माध्यम से आधुनिकीकरण और क्षमता विकास की जरूरतों को पूरा करने की दिशा में बढ़ रही भारतीय सेना के अनुरूप है।
भारतीय सेना के चेटवुड आदर्श वाक्य में दृढ़ विश्वास रखने वाले जनरल द्विवेदी विश्वास की संस्कृति को बढ़ावा देने, जूनियर अधिकारियों के सशक्तीकरण, सैनिकों की भलाई और वीर नारियों के कल्याण पर भी ध्यान केंद्रित करेंगे।
इससे पहले जनरल पांडे ने सेवा निवृत होने से पहले राष्ट्रीय युद्ध स्मारक जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। सेवा निवृत होने से पहले उन्हें सेना की टुकड़ी की ओर से सलामी गारद पेश की गयी।