Basant Panchami: सोलह कलाओं से खिल उठेगी प्रकृति, दांपत्य जीवन में आएगी खुशहाली

बसंत पंचमी 26 जनवरी को मनेगी। इसे लेकर जिले भर में तैयारियां तेज हो गई है। जहां इस तिथि से शिक्षा प्रारंभ करना सफलता की नयी दिशाएं खोलता है। वहीं मां की कृपा से जीवन में चेतना का सृजन होता है। यह पर्व बसंत ऋतु के आगमन का सूचक है। इस अवसर पर प्रकृति के सौंदर्य में अनुपम छटा का दर्शन होता है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ पर पूरी खबर

Updated : 21 January 2023, 3:58 PM IST
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महराजगंजः वसंत पंचमी को विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा की परंपरा है। वैवाहिक बंधन में बंधने वालों का दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा। साथ ही संतान सुख भी श्रेष्ठतम रहेगा। आचार्य पंडित दयाशंकर शुक्ल के अनुसार इस तिथि से शिक्षा प्रारंभ करना शिक्षा क्षेत्र में सफलता की नयी दिशाएं खोलता है। यह पर्व बसंत ऋतु के आगमन का सूचक है। प्रकृति के सौंदर्य में अनुपम छंटा का दर्शन होता है। इसी दिन से बसंत ऋतु आरंभ होती है। बसंत का उत्सव प्रकृति का उत्सव है। सतत सुंदर लगने वाली प्रकृति बसंत ऋतु में सोलह कलाओं से खिल उठती है।

स्वर का भी कराएं अध्ययन
बंसत पंचमी के दिन ही स्वर की उत्पत्ति हुई थी। स्वर के महत्व को लोगों ने समझा था। इसलिए सात स्वर सा, रे, गा, म, पा, धा, नि, का अध्ययन किया जाना चाहिए। छहः माह के बच्चे करे पहली बार अनाज खिलाने का शुभ अवसर है। घर में खीर बनाकर सरस्वती जी को भोग लगाएं। शिशु को चांदी के चम्मच से खीर खिलाएं, शुभ होता है।

विद्यार्थियों के लिए खास है सरस्वती पूजा
मां सरस्वती की कृपा से ही विद्या, बुद्धि, वाणी और ज्ञान की प्राप्ति होती है। देवी कृपा से ही कवि कालिदास ने यश और ख्याति अर्जित की थी। वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, शौनक और व्यास जैसे महान ऋषि देवी.साधना से ही कृतार्थ हुए थे। मां सरस्वती की उत्पत्ति सत्वगुण से मानी जाती है।

हर विद्यार्थी अपनाएं यह टिप्स
विद्यार्थियों को अपने कठिन विषय की किताब में बसंत पंचमी के दिन मोर पंख रखना चाहिए।
वाक्क सिद्धी के लिए रोज अपनी जीभ को तालु में लगाकर सरस्वती के बीज मंत्र ऐं का जाप करना लाभदायक है।
हकलाने, तुतलाने जैसे दोष हो। बांसुरी के छेद से शहद भरकर मोम से बंदकर के जमीन में गाड़ दें, लाभ होगा।
बच्चों की कुशाग्र बुद्धि के लिए उन्हें इस दिन से ब्राह्मी, मेघावटी, शंखपुष्पी देना शुरु करें।

बसंतपंचमी के दिन है सबसे खास लग्न
उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र व शिव योग के संयोग में बसंत पंचमी का सबसे खास मुहूर्त है। इस दिन जहां पूरी रात और पूरे दिन मंडप में शहनाई गूंजेगी। वहीं शिव योग में भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा अमोघ फलदाई होगा। इसे लेकर इस दिन जिसके शादी विवाह तय हुए हैं। उसे यादगार बनाने के लिए पूरी मनोयोग से जुट गया है।

राशि के अनुसार करें पूजा, होगा लाभ
मेषः सरस्वती पूजन के साथ हनुमान जी की स्तुति करें।
वृषः मां सरस्वती का पूजन कर सफेद फूल अर्पित करें।
मिथुनः मां सरस्वती का पूजन कर सफेद फूल अर्पित करें।
कर्कः नीला फूल अर्पित कर मां सरस्वती की आराधना करें।
कन्याः श्री विष्णु संग गणेश जी की आराधना से रुके कार्य पूर्ण होंगे।
तुलाः पंचामृत से भगवान विष्णु व मां सरस्वती का अभिषेक करें।
वृश्चिकः मीठे पुए काे भोग लगा गरीबों में वितरित से कार्य पूर्ण होंगे।
धनुः पीले कन्हेर के फूल चढ़़ा कर मां सरस्वती की आराधना करें।
मकरः कच्चे दूध में केसर मिला कर मां सरस्वती का अभिषेक करें।
कुंभः पूजा करने के बाद गुलाब का फूल अर्पित करें।
मीनः लड्डू का भोग लगा प्रसाद वितरित करने से कार्य सिद्ध होगा।

Published : 
  • 21 January 2023, 3:58 PM IST

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