नाबालिग गर्भवती ने गर्भपात कराने से किया इनकार, दिल्ली हाई कोर्ट ने दिया ये आदेश, जानिये पूरा अपडेट

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 14 वर्षीय गर्भवती नाबालिग तथा उसके अभिभावकों द्वारा चिकित्सकीय गर्भपात के लिए सहमति देने से इनकार किए जाने के बाद नाबालिग को उचित देखभाल के लिए यहां एक बाल आश्रय गृह भेजे जाने के निर्देश दिए हैं। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

Updated : 6 June 2023, 4:00 PM IST
google-preferred

नयी दिल्ली:  दिल्ली उच्च न्यायालय ने 14 वर्षीय गर्भवती नाबालिग तथा उसके अभिभावकों द्वारा चिकित्सकीय गर्भपात के लिए सहमति देने से इनकार किए जाने के बाद नाबालिग को उचित देखभाल के लिए यहां एक बाल आश्रय गृह भेजे जाने के निर्देश दिए हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी ने कहा कि याचिकाकर्ता लड़की 27 सप्ताह की गर्भवती है और वह नौ महीने तक गर्भ को रखना चाहती है। उसके भाई, अभिभावकों का भी यही रुख है।

यह गर्भावस्था नाबालिग तथा एक व्यक्ति के बीच संबंधों का परिणाम है और व्यक्ति यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत आपराधिक कार्रवाई का सामना कर रहा हैं

याचिकाकर्ता ने पहले उच्च न्यायालय का रुख किया था तथा गुरु तेग बहादुर अस्पताल को यह निर्देश देने का अनुरोध किया कि चिकित्सकी गर्भपात की संभावना का पता लगाने के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन हो। लेकिन बाद में याचिकाकर्ता ने विचार बदल दिया और कहा कि वह आरोपी से विवाह करना चाहती है।

अदालत ने इस माह की शुरुआत में पारित अपने आदेश में कहा,‘‘ इन परिस्थितियों में वर्तमान याचिका इन निर्देशों के साथ निस्तारित की जाती है: किशोर न्याय अधिनियम 2015 के शासनादेश के अनुरूप याचिकाकर्ता को उचित देखभाल के लिए नयी दिल्ली के शाहदरा ‘सखी वन-स्टॉप सेंटर,आईएचबीएएस हॉस्पिटल कॉम्प्लेक्स से ‘चिल्ड्रन्स होम फॉर गर्ल्स-चार’,निर्मल छाया,नयी दिल्ली स्थानांतरित किया जाए।’’

अदालत ने यह भी कहा कि चिकित्सकीय गर्भपात के संबंध में स्पष्ट कानून है कि इसके लिए केवल ‘महिला’ की इजाजत की जरूरत होती है और चूंकि इस मामले में वह नाबालिग है,ऐसे में कानून के अनुसार उसके ‘अभिभावकों’ की मंजूरी जरूरी है।

Published : 
  • 6 June 2023, 4:00 PM IST

Related News

No related posts found.