एमसीडी जामा मस्जिद से सटे दो पार्क का नियंत्रण अपने हाथ में ले: उच्च न्यायालय

दिल्ली उच्च न्यायालय ने जामा मस्जिद से सटे दो पार्क का नियंत्रण अपने हाथ में लेने का दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को निर्देश देते हुए कहा कि तेज़ी से बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर खुले स्थान और हरित क्षेत्र लोगों के लिए अत्यंत आवश्यक श्वास क्षेत्र हैं और ऐसे में सार्वजनिक पार्क के द्वार बंद रखना ‘पूरी तरह से अस्वीकार्य’ है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 7 December 2023, 9:41 PM IST
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नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने जामा मस्जिद से सटे दो पार्क का नियंत्रण अपने हाथ में लेने का दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को निर्देश देते हुए कहा कि तेज़ी से बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर खुले स्थान और हरित क्षेत्र लोगों के लिए अत्यंत आवश्यक श्वास क्षेत्र हैं और ऐसे में सार्वजनिक पार्क के द्वार बंद रखना ‘पूरी तरह से अस्वीकार्य’ है।

उच्च न्यायालय ने पुरानी दिल्ली में स्थित दो सार्वजनिक पार्क का कब्ज़ा अपने हाथ में नहीं लेने के लिए एमसीडी से सवाल भी किया और उससे उन पर नियंत्रण लेने के लिए कानून के अनुसार कार्रवाई करने को कहा ताकि वे आम जनता के उपयोग के लिए उपलब्ध हों।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार अदालत ने कहा कि यदि पुलिस सहायता मांगी जाती है, तो वह प्रदान की जाएगी।

अदालत ने कहा, 'आखिरकार, एक वैधानिक प्राधिकरण सार्वजनिक पार्कों पर कब्ज़ा नहीं खो सकता।'

उच्च न्यायालय ने कहा कि पार्क ‘कंक्रीट के जंगल’ में मरुद्यान (हरित स्थल) की तरह हैं जो शहरों में मौजूद हैं और युवा और बुजुर्गों सहित लोगों के खेलने, टहलने और व्यायाम करने के लिए हरे स्थानों की आवश्यकता होती है और यह अधिकार देने से इनकार करना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त जीवन के अधिकार का उल्लंघन होगा।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने कहा, “ सार्वजनिक पार्क के द्वार पर ताला लगाने और जनता को प्रवेश से वंचित करने का कदम पूरी तरह से अस्वीकार्य है।”

पीठ ने एमसीडी को नई स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 21 दिसंबर को सूचीबद्ध कर दिया।

अदालत ने कहा कि 28 जुलाई को जामा मस्जिद के शाही इमाम/प्रबंध समिति के वकील ने मामले में निर्देश लेने के लिए समय मांगा था। हालांकि, हालिया सुनवाई में शाही इमाम या प्रबंध समिति की ओर से कोई भी उपस्थित नहीं हुआ।

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