महराजगंज: बच्चों के जीवन से बड़ा खिलवाड़, पनियरा में बिना मान्यता के चल रहे दर्जनों विद्यालय

डीएन ब्यूरो

महरजगंज जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण कई स्कूलों द्वारा नौनिहालों के जीवन के साथ बड़ा खिलावाड़ किया जा रहा है। पनियारा में कई स्कूल बिना मान्यता के चल रहे है। ऐसे स्कूलों के खिलाफ कार्यवाही के आदेश भी दिये गये, लेकिन इनका पालन नहीं हुआ। पूरी खबर..

पनियरा खण्ड शिक्षा अधिकारी ऑफिस
पनियरा खण्ड शिक्षा अधिकारी ऑफिस


महराजगंज: यूपी सरकार समेत जिला प्रशासन द्वारा बिना मान्यता प्राप्त स्कूलों के विरुद्ध कार्रवाई के निर्देशों का जमकर उल्लघंन किया जा रहा है। पनियरा ब्लाक क्षेत्र में दर्जनों स्कूलों का संचालन बिना मान्यता के ही किया जा रहा हैं। कुछ तो ऐसे भी स्कूल है, जिनको मान्यता हिंदी मीडियम का मिली है, लेकिन बोर्ड पर इंग्लिश मीडियम लिखकर लोगों के आँखों में धूल झोंका जा रहा है। शिक्षा के नाम पर कारोबार करने वाले ऐसे स्कूल बच्चों के जीवन से खेल रहे हैं। कई स्कूलों में नौनिहालों का भविष्य अप्रशिक्षित शिक्षकों के हवाले है।

बेसिक शिक्षा परिषद का निर्देश है कि अप्रशिक्षित व गैर स्नातक शिक्षक-शिक्षिकाओं से पठन-पाठन कार्य नहीं कराया जाना चाहिए। विद्यालय संचालन के लिए शासन स्तर से मानक तय है। लोगों का कहना है कि शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत के चलते ही गैर मान्यता प्राप्त विद्यालय के संचालकों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की जा रही है। स्कूल संचालकों के हौंसले बुलंद हैं। स्कूल संचालकों की तरफ से बच्चों व अभिभावकों का शोषण किए जाने की शिकायतें भी अधिकारियों तक पहुंच रही है, लेकिन इस पर कार्यवाही नहीं हो रही है। 

शिक्षा के नाम पर कारोबार करने वालों ने कई तरकीबें भी ढ़ूढ़ निकाली है। छात्र बिना मान्यता प्राप्त स्कूलों में शिक्षा भले प्राप्त करते हैं, लेकिन उनका वास्तविक नामांकन अन्य मान्यता प्राप्त विद्यालयों में करवाया जाता है। जिससे अभिभावकों को दोहरी फीस का बोझ उठाना पड़ता है। यह अवैध खेल कुछ मान्यता प्राप्त स्कूलों के संरक्षण में खेला जा रहा है। शासन ने मान्यता देने के लिए मानक तय हैं, लेकिन कोई एक कमरे तो कोई दो कमरों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई का बोर्ड लगा कर अपनी दुकान चला रहे हैं। अभिभावकों से नामांकन के नाम पर मोटी रकम लेने के साथ कापी-किताब, यूनीफार्म, जूता आदि सामान के नाम पर धन उगाही कर रहे हैं। कस्बों से लेकर गांवों तक बगैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों की भरमार देखी जा सकती है। सब कुछ जानते हुए भी विभागीय अधिकारी अंजान बने हुए हैं।
 










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