

उत्तर प्रदेश के चर्चित दिहुली नरसंहार में कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। 3 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के चर्चित दिहुली नरसंहार में कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। 3 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
मैनपुरी: फिरोजाबाद के दिहुली में 44 साल पहले सामूहिक नरसंहार मामले में 3 दोषियों को फांसी की सज़ा सुनाई गई है। मैनपुरी की डकैती कोर्ट की जज इंदिरा सिंह ने तीन दोषियों रामसेवक, कप्तान सिंह और रामपाल को फांसी की सजा सुना दी है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, फिरोजाबाद जिले के थाना जसराना क्षेत्र के दिहुली में 18 नवंबर 1981 की शाम पांच बजे के करीब हथियारबंद बदमाशों ने गांव में घुसकर अनुसूचित जाति बस्ती पर हमला बोला था। घरों में मौजूद महिलाओं, पुरुष और बच्चों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाना शुरू कर दीं।
बदमाशों ने तीन घंटे तक फायरिंग की। फायरिंग में 23 लोगों की मौके पर ही मृत्यु हो गई थी। जबकि एक घायल की इलाज के दौरान फिरोजाबाद अस्पताल में जान चली गई थी।
उत्तर प्रदेश के चर्चित दिहुली नरसंहार में मैनपुरी कोर्ट ने 3 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई #Mainpuri #UttarPradesh pic.twitter.com/NKfTg0JFbU
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) March 18, 2025
इस मामले में लायक सिंह ने थाना जसराना में रामसेवक, रविंद्र सिंह, रामपाल सिंह, वेदराम सिंह, मिट्ठू, भूपराम, मानिक चंद्र, लटूरी, रामसिंह, चुन्नीलाल, होरीलाल, सोनपाल, लायक सिंह, बनवारी, जगदीश, रेवती देवी, फूल देवी, कप्तान सिंह, कमरुद्दीन, श्यामवीर, कुंवरपाल, लक्ष्मी के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। इस मामले में अपर जिला शासकीय अधिवक्ता रोहित शुक्ला ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने दोषियों के लिए फांसी की सजा की मांग की थी।
पहले दिहुली गांव मैनपुरी जनपद में आता था, इसलिए केस मैनपुरी जिला न्यायालय में चला, लेकिन मैनपुरी में डकैती न्यायालय न होने के बाद केस को प्रयागराज स्थानांतरित कर दिया गया। वहां सुनवाई के बाद मामला फिर से मैनपुरी स्पेशल जज डकैती न्यायालय भेज दिया गया। जहां मामले की 15 सालों से सुनवाई चल रही थी।
11 मार्च को डकैती न्यायालय की न्यायाधीश इंदिरा सिंह ने तीन आरोपियों रामसेवक, कप्तान सिंह और रामपाल को सामूहिक हत्याकांड का दोषी करार दिया और सजा सुनाई गई आज मंगलवार को दोषी न्यायालय में उपस्थित हुए। जहां तीनों दोषी रो रो कर न्यायालय के सामने अपनी बेगुनाही का दावा करते रहे।