महराजगंजः पशु तस्करों का खेल जारी, रात में मवेशी लादकर फर्राटा भर रही पिकअप

डीएन संवाददाता

महराजगंज जनपद के परसामलिक थाना क्षेत्र में रात में पशुओं को लादकर पिकप तस्कर बेखौफ नापाक इरादों को अंजाम दे रहे हैं। रात्रि चेकिंग व्यवस्था यहां पूरी तरह फेल साबित है। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज की पूरी रिपोर्ट

वाहनों में मवेशी
वाहनों में मवेशी


परसामलिक (महराजगंज):(Maharajganj) पशु तस्करों (Animal Smugglers) के लिए रात का समय इसलिए मुफीद साबित हो रहा है क्योंकि यहां रात्रिकालीन गश्त व्यवस्था पूरी तरह निष्क्रिय है।

रात के अंघेरे का जमकर फायदा उठाते हुए तस्कर पिकप में भैंस लादकर भारत से नेपाल (India to Nepal) भेजने का काला कारोबार बेखौफ कर रहे हैं। डाइनामाइट न्यूज की टीम ने रात में पड़ताल की तो सारी सच्चाईयां स्वतः उजागर हो गईं। 

ऐसे होता है कारोबार
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तस्कर गोरखपुर, कोल्हुई, सिद्धार्थनगर आदि स्थानों के करीब खुले पशु बाजारों से खरीदे गए दुधारू भैसों को पिकअप गाड़ियों में भरकर फर्राटा भरते हुए परसामलिक थाना क्षेत्र के सीमावर्ती गांवों में उतार दे रहे हैं और मौका देखकर नेपाल के नवलपरासी के बाजार में भेजकर प्रति पशु पांच से आठ हजार रुपये का भारी मुनाफा कमा रहे हैं। हालत यह है कि सुरक्षा एजेंसियों की सुस्ती से क्षेत्र में यह अवैध कारोबार थमने की जगह बढ़ता ही जा रहा है।

पगड़ंडी के रास्ते से चराते हुए... 

पशु तस्करों के लिए परसामलिक थाना क्षेत्र सबसे सुरक्षित ठिकाना माना जाता है। पशु बाजारों से खरीदे गए दुधारू पशुओं को तस्कर पिकअप गाड़ियों में भरकर पुरंदरपुर, कोल्हुई, सोनौली, नौतनवा थाना क्षेत्र की सीमा से होते हुए परसामलिक थाना क्षेत्र के सीमावर्ती गांव, परसामलिक, रेहरा छितवनिया, खैरहवा दुबे, पड़ौली, मुजहना, झिंगटी आदि गांवों में उतार देते हैं और सुरक्षा एजेंसियों व स्थानीय पुलिस की खामोशी का फायदा उठाकर झुंड के झुंड पशुओं को पगड़डी रास्ते से चराते हुए धीरे-धीरे नेपाल की सीमा में पहुंचा देते हैं। नेपाल के नवलपरासी के करीब मंगलवार को लगने वाले पशु बाजार में इन पशुओं को मुंहमांगे दामों पर बेचकर पशु तस्कर काफी मुनाफा कमाते हैं।

बताया जाता है कि वहां पहुंचने के बाद तस्कर गिरोहों से जुड़े अन्य लोग दुधारू भैसों को दूध आदि के लिए कुछ दिनों तक अपने पास रखते हैं, जबकि बूढ़ी भैसों को मांस आदि के लिए खाड़ी देश भेजने वाले तस्करों के हवाले कर देते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि समय रहते यदि पशु तस्करी पर लगाम नहीं लगाया गया तो इस इलाके में देशी गायों की तरह दुधारू भैंस भी खोजने पर भी नहीं मिलेंगी।










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