Maharajganj: National Highway Vs Bypass सपाइयों का साथ मिलने से व्यापारियों के आंदोलन में आया उबाल

नगर के हज़ारों व्यापारियों को उजाड़ने और भुखमरी के कगार पर पहुँचाने की साज़िश के ख़िलाफ़ सपाइयों ने घेराबंदी करते हुए डीएम की गैरमौजूदगी में एडीएम और एसपी को ज्ञापन सौंपा और सवाल पूछा कि जब केन्द्रीय मंत्री और राज्य के उप मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि नगर में बाईपास बनेगा तो फिर सिर्फ साल-दो साल के लिये नगर के बीच से हाइवे का निर्माण कर क्यों अरबों रुपया इंजीनियरों और ठेकेदारों की जेब में डालने की साज़िश की जा रही है? सपाइयों का साथ मिलने से व्यापारियों के आंदोलन में जान आ गयी है। पूरी खबर.

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 15 July 2019, 3:50 PM IST
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महराजगंज: सोमवार की सुबह समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष राजेश यादव की मौजूदगी में बड़ी संख्या में सपाईयों का जत्था कलेक्ट्रेट पहुंचा। यहां डीएम अमरनाथ उपाध्याय की गैरमौजूदगी में प्रतिनिधिमंडल ने बीच शहर से हाईवे निकाले जाने और अरबों रुपये डकारने के षड़यंत्र के खिलाफ अपर जिलाधिकारी कुंज बिहारी अग्रवाल और पुलिस अधीक्षक रोहित सिंह सजवान को अलग-अलग राज्यपाल के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमंडल में बड़ी संख्या में नगर के व्यापारी भी थे।

 

 

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक नगर के हजारों व्यापारी इन दिनों भाजपा सरकार की "व्यापारी विरोधी और तोड़ो व उजाड़ो नीति" से परेशान और आंदोलित हैं। इसकी वजह है नगर के बीचों बीच से हाईवे निर्माण की साजिश। यदि ऐसा होता है तो नगर के हजारों व्यापारी बर्बाद हो जायेंगे। महिलायें और बच्चे सब सड़क पर आ जायेंगे। न घर में रहने का ठिकाना मिलेगा और न ही दो जून की रोटी। 

 

जिलाधिकारी कार्यालय पर बड़ी संख्या में जुटे सपाई

 

इस बारे में नगर के आम व्यापारी पिछले दो महीने में कई बार सांसद व विधायक से मिल चुके हैं, जिलाधिकारी से वार्ता कर चुके हैं लेकिन हर कोई झूठा आश्वासन दे टरका रहा है। मानो इनको जनता की परेशानी से कोई मतलब नहीं। नगर में व्यापारियों ने बंदी तक की लेकिन जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी।  

मुख्यमंत्री कार्यालय में 2016 से ही बाईपास निर्माण की पत्रावली लंबित

ज्ञापन देने गये सपाईयों और आम जनता ने कहा कि मुख्यमंत्री कार्यालय में 2016 से ही नगर में बाईपास निर्माण की पत्रावली पड़ी हुई है। इस पर आज तक कोई निर्णय नहीं किया गया। यदि सांसद-विधायक इसकी पैरवी किये होते तो अब तक नगर को बाईपास मिल चुका होता।

अरबों रुपये के लूट की छूट इंजीनियरों और ठेकेदारों को?

सबसे बड़ा सवाल ये है कि केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी से लेकर डिप्टी सीएम केशव मौर्य तक कह चुके हैं कि नगर के चारो और बाई पास बनेगा। प्रदेश से लेकर देश तक में भाजपा की सरकार है फिर इसमें कोई अड़चन भी नही। तो फिर क्यों साल-दो साल के लिए नगर के बीच से हाईवे का निर्माण कर जनता के टैक्स के पैसे के अरबों रुपये के लूट की छूट इंजीनियरों और ठेकेदारों को दी जा रही है। जब साल-दो साल में बाईपास बन जायेगा तब गोरखपुर व फरेन्दा की तरफ से आने वाले वाहन बाईपास पकड़ अपना समय बचायेंगे या नगर के बीच से जायेंगे? ऐसे में किसकी आंख में धूल झोंका जा रहा है? यदि किसी ने अरबों रुपये के खुली लूट की साजिश की पीआईएल की तो महराजगंज के जिलाधिकारी से लेकर सांसद औऱ विधायक क्या अपनी जवाबदेही से बच पायेंगे? आखिर सिस्टम के ही ये ही रखवाले हैं और इन्हीं के ऊपर जनता के पैसे को लूट से बचाने की जिम्मेदारी है? 

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तीन मंदिर हो जायेंगे तबाह

ज्ञापन में एक और महत्वपूर्ण बिंदू पर ध्यान खींचा गया है कि यदि जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने अपनी मनमानी इसी तरह जारी रखी तो लोगों के आस्था से जुड़े तीन मंदिर हनुमानगढ़ी का सबसे प्राचीन हनुमान मंदिर, श्याम मंदिर और टेढ़वा कुटी मंदिर का अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगा। 

एनएचएआई व ठेकेदारों की अंधेरगर्दी चरम पर

सरकारों व न्यायालयों का स्पष्ट आदेश है कि कोई भी कार्यदायी संस्था औऱ ठेकेदार कहीं भी निर्माण करायेंगे तो लागत से लेकर, कार्य का नाम, अवधि इत्यादि सम्पूर्ण विवरण सड़क के किनारे लोहे के बोर्ड पर चस्पा करेंगे लेकिन कहीं कुछ भी नहीं। और तो और जिला प्रशासन के बड़े अफसर से लेकर एनएचएआई के इंजीनियर कोई भी मीडिया के सवालों का जवाब देने को तैयार नहीं। जिससे साफ लगता है कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ जरुर है। बिना किसी नोटिस व मुआवजे के जहां जितनी मर्जी तोड़फोड़ मचायी जा रही है। 

फिलहाल नगर बचाओ संघर्ष समिति और जिला उद्योग व्यापार मंडल के आंदोलन को सपाईयों के साथ से नयी ताकत मिली है। आये दिन विभिन्न राजनीतिक दल और संगठन व्यापारियों के आंदोलन को अपना समर्थन दे रहे हैं। अब देखना होगा कि कब जिला प्रशासन और एनएचएआई के इंजीनियर मीडिया और जनता के सामने आकर तस्वीर साफ करते हैं? 

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