उत्तर प्रदेश त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में हो सकता है बड़ा बदलाव, ऐसे उम्मीदवार नहीं लड़ सकेंगे इलेक्शन

डीएन ब्यूरो

उत्तर प्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के नियमों में इस बार कई तरह के बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। पढिये, डाइनामाइट न्यूज की स्पेशल रिपोर्ट..

सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर


लखनऊ: उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में इस बार कई तरह के नये बदलाव देखने को मिल सकते हैं। यूपी सरकार पंचायत चुनावों के लिये नये नियमों को बनाने और राजनीतिक दृष्टि से होने वाले इसके नफे-नुकसान का आकलन करने में जुटी है। बताया जाता है कि पुरानी निर्वाचन नियमावली में सरकार इस बार कई तरह के नये संशोधन कर सकती है, जिसे मंजूरी मिलने के बाद आगामी पंचायत चुनावों में लागू किया जा सकता है।

देश के सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश में आगामी पंचायत चुनावों में जनसंख्या नियंत्रण के मद्देजनर बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। देश के कुछ राज्यों की तरह ही उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनावों में ऐसे उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जा सकती है, जिनके दो से अधिक बच्चे हों। उत्तर प्रदेश से अलग होकर नये राज्य के रूप में गठित उत्तराखंड समेत देश के कुछ अन्य राज्यों द्वारा भा पंचायत चुनाव में दो से अधिक बच्चों वाले उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने पर रोक है। अगले चुनावों में यूपी में यह नियम देखने को मिल सकता है। 

यूपी में आगामी त्रिस्तरीय चुनावों में जनसंख्या नियंत्रण के अलावा उम्मीदवार की शिक्षा भी एक बड़ा नियम बन सकता है। माना जा रहा है कि पंचायत चुनाव लड़ने के लिये उम्मीदवारी की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता 8वीं पास अनिवार्य की जा सकती है। पंचायत चुनावों में 8वीं से कम पढ़े-लिखे लोगों के निर्वाचन को प्रतिंबधित किया जा सकता है। इसके पीछे सरकार का उद्देश्य शिक्षा को बढ़ावा देना है।   

जानकारी के मुताबिक सरकार निर्वाचन नियमावली में जनसंख्या और शिक्षा से जुड़े उक्त दो अहम बदलावों को शामिल कर सकती है। इस संबंध में मिले प्रस्तावों पर सरकार द्वारा गंभीरता से विचार किया जा रहा है। लेकिन साथ ही इससे होने वाले राजनीतिक नफा-नुकसान का भी आकलन हो रहा है।

जानकारी यह भी है कि राज्य की कुछ राजनीतिक पार्टियां समेत कुछ संगठन उक्त प्रस्तावों का विरोध कर रहे है और इसे सरकार की लोकतांत्रिक मूल्यों को कम करने की साजिश बता रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ संगठन इन प्रस्तावों का खुलकर समर्थन कर रहे हैं। ऐसे समर्थकों का मानना है कि शिक्षा और जनसंख्या नियंत्रण आज के बदले वक्त की सबसे बड़ी मांग है। 

राजनीतिक पार्टयों समेत राज्य की आम जनता में भी इस बात को जानने की दिलचस्पी है कि आने वाले समय में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में ये नये नियम लागू होते हैं या नहीं?  
 










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