लखनऊ: अखिलेश यादव और शरद यादव की मुलाकात से क्या बनेगी महागठबंधन की बात..

जय प्रकाश पाठक

कभी बिहार में नीतीश कुमार के अहम सहयोगी रहे जेडीयू नेता शरद कुमार का अचानक यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के घर पहुंचकर मुलाकात करना राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसे एनडीए सरकार के खिलाफ महागठबंधन की शुरूआत के तौर पर देखा जा रहा है। पूरी रिपोर्ट..



लखनऊ: जनता दल (यू) नेता शरद यादव का मंगलवार को अचानक यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलने के बाद राजनीतिक हलकों में कई तरह की चर्चाएं जोर पकड़ने लगी है।  इस बैठक को अगले आम चुनावों में एनडीए सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों के महागठबंधन की पहल में रूप में देखा जा रहा है। ऐसे कयास लगाये जा रहे हैं कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की अगुवाई में संभावित महागठबंधन वास्तविक रूप ले सकता है, जिसके बूते पर विपक्षी दलों द्वारा पीएम मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार को 2019 के चुनावों में दोबारा सत्ता पाने से रोका जा सकता है।

यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश के विक्रमादित्य मार्ग पर स्थित आवास पर हुई इस बैठक के बाद शरद यादव ने प्रेस कांफ्रेंस में भी साफ किया कि वह भाजपा सरकार के खिलाफ महागठबंधन बनाने की कवायद में जुटे हैं और इसके लिये देश के अलग-अलग नेताओं से मिल रहे हैं। 

यूपी उपचुनाव में भाजपा की हार को सुनिश्चित करने के लिये सपा-बसपा समेत अन्य कुछ दलों के गठबंधन का प्रयोग पूरी तरह सफल रहा है। माना जा रहा है कि अगले आम चुनाव में अन्य दल भी इसी प्रयोग को अपनाना चाहेंगे, ताकि भाजपा को रोका जा सके। सभी विपक्षी राजनैतिक दल इसे भलि-भांति समझते है कि सपा समेत अखिलेश यादव की अहम भूमिका के बिना महागठबंधन का वजूद सामने आना मुश्किल है और कई राजनैतिक कारणों से इसमें अखिलेश की अगुवाई या अहम भूमिका सबसे ज्यादा महत्पूर्ण है। यही एक बड़ा कारण है कि शरद यादव ने महागठबंधन की पहल के लिये सबसे पहले अखिलेश से मुलाकात की।

अखिलेश से मुलाकात के बाद उत्साहित नजर आ रहे शरद यादव ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर न केवल महागठबंधन की जोरदार पैरवी की बल्कि केन्द्र की मोदी और यूपी की योगी सरकार पर भी जमकर निशाना साधा। अक्सर हर बैठक और जनसभा में अखिलेश यादव जीएसटी और नोटबंदी को लेकर भाजपा पर निशाना साधते नजर आते है, शरद यादव ने भी इस कांफ्रेंस में इन दो मुद्दों को लेकर भाजपा को निशाना बनाया, जिसे अखिलेश के साथ शरद की राजनैतिक जुगलबंदी कहा जा सकता है।

इस महागठबंधन की कवायद में शरद यादव कितने सफल होंगे, यह तो भविष्य ही बतायेगा.. 










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