लोकसभा चुनावों के दौरान दाल की बढ़ती कीमतों से जनता बेहाल
एक ओर देश में लोकसभा चुनावों को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां चुनावी जोर आजमाइश में लगी हुई हैं। वहीं आम आदमी की थाली से दाल धीरे-धीरे गायब होती जा रही है।
लखनऊ: देश में लोकसभा चुनाव का माहौल चल रहा है। सभी राजनीतिक पार्टियां और जिम्मेदार अफसर लोकसभा चुनाव को संपन्न कराने में जुटे हैं। वहीं दूसरी ओर दाल की बढ़ती महंगाई ने जनता को बेहाल कर रखा है।
यह भी पढ़ें: जिला मुख्यालय के पास की सड़क महीनों से टूटी पड़ी, कोई नहीं सुध लेने वाला
जनता यह सवाल कर रही है की लोकसभा चुनाव तो ठीक है लेकिन दाल की बढ़ती महंगाई से हमें निजात कौन दिलाएगा? जब हमने दाल की बढ़ती महंगाई के कारणों की पड़ताल की तो पता चला कि ट्रांसपोर्ट सिस्टम की वजह से दालों की आपूर्ति प्रभावित हुई है।
यह भी पढ़ें |
यूपी में सड़क मरम्मत कार्य में लापरवाही करने वाले अफसरों पर होगी कार्रवाई
यही वजह है कि 1 हफ्ते पहले ₹80 प्रति किलो बिकने वाली उड़द की दाल ₹100 किलो जबकि अरहर की दाल ₹80 किलो तक पहुंच गई है। साथ ही मसूर, चने की दालों के बढ़ते रेट ने भी लोगों को हैरान और परेशान कर रखा है।
डाइनामाइट न्यूज ने इस बारे में लखनऊ के कई दुकानदारों से बात की, जिस पर उन्होंने बताया की दाल की बढ़ती हुई कीमतों से दाल की बिक्री पर भी असर पड़ा है। वहीं ग्राहकों का यह कहना है कि दाल की बढ़ती हुई कीमतों ने उनके रसोईघर का बजट बिगाड़ रखा है।
यह भी पढ़ें |
यूपी में 4 IAS अफसरों के तबादले
ऐसे में सरकार को इस ओर ध्यान देने की अपील भी उन्होंने डाइनामाइट न्यूज के माध्यम से की और आंशका जताई कि आने वाले समय में दालों की बढ़ती हुई कीमतें सरकार का राजनीतिक गणित भी बिगाड़ सकती हैं। ऐसे में सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।