Kuno National Park: कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों की लगातार मौत पर जानिये विशेषज्ञों ने दिये ये सुझाव

डीएन ब्यूरो

‘प्रोजेक्ट चीता’ में शामिल अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में शुरुआती अनुभव के आधार पर सरकार को भारत में बसाने के लिए कम उम्र के ऐसे चीतों को प्राथमिकता देने की सलाह दी है, जो प्रबंधन वाहनों एवं मानव उपस्थिति के आदी हों। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

प्रोजेक्ट चीता
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नयी दिल्ली: ‘प्रोजेक्ट चीता’ में शामिल अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में शुरुआती अनुभव के आधार पर सरकार को भारत में बसाने के लिए कम उम्र के ऐसे चीतों को प्राथमिकता देने की सलाह दी है, जो प्रबंधन वाहनों एवं मानव उपस्थिति के आदी हों।

उन्होंने सरकार को चीतों को बसाने के लिए मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान के अलावा अन्य स्थान चिह्नित करने की भी सलाह दी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार विशेषज्ञों ने सरकार को हाल में सौंपी गई एक स्थिति रिपोर्ट में कहा कि चीतों की ये विशेषताएं स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की निगरानी, ​​तनाव मुक्त पशु चिकित्सा और प्रबंधन हस्तक्षेप को सरल बनाने और पर्यटन को बढ़ाने में मदद करती हैं।

उन्होंने कहा कि कूनो को पर्यटन के लिए खोला जाने वाला है और चीतों के मानव उपस्थिति के आदी होने से उद्यान को पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनाने में मदद मिल सकती है। कूनो में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीतों के दो समूह लाए गए हैं।

विशेषज्ञों ने कहा कि कम उम्र के वयस्क चीते नए माहौल में अधिक आसानी से ढल जाते हैं और अधिक उम्र के चीतों की तुलना में उनके जीवित रहने की दर भी अधिक होती है। कम उम्र के नर चीते अन्य चीतों को लेकर ‘‘अपेक्षाकृत कम आक्रामक’’ व्यवहार दिखाते हैं, जिससे चीतों की आपसी लड़ाई में होने वाली मौत का खतरा कम हो जाता है।

विशेषज्ञों ने चीतों को बाहर से लाकर भारत में बसाने पर आने वाले खर्च को ध्यान में रखते हुए रेखांकित किया कि कम उम्र के चीते छोड़े जाने के बाद अधिक समय तक जीवित रहते हैं।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों की मौत की दर दुर्भाग्यपूर्ण है और इसके कारण मीडिया में कई नकारात्मक समाचार प्रकाशित एवं प्रसारित हुए हैं, लेकिन यह मृतक संख्या वन्य चीता पुनर्वास के सामान्य मापदंडों के भीतर है।

मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में मार्च के बाद से नौ चीतों की मौत हो चुकी है, जिनमें छह वयस्क एवं तीन शावक शामिल हैं। बहुप्रतीक्षित ‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत, कुल 20 चीतों को दो दलों में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से केएनपी में लाया गया था। चार शावकों के जन्म के बाद चीतों की कुल संख्या 24 हो गई थी लेकिन नौ चीतों की मौत के बाद यह संख्या घटकर अब 15 रह गई है।

विशेषज्ञों ने दक्षिण अफ्रीका में चीतों को बसाने की कोशिश के दौरान शुरुआत में हुई दिक्कतों पर सरकार का ध्यान आकर्षित किया और कहा कि उसकी 10 में से नौ कोशिश असफल हो गई थीं। उन्होंने कहा कि इन अनुभवों के आधार पर वन्य चीता पुनर्वास एवं प्रबंधन की सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाओं को स्थापित किया गया।

रिपोर्ट में ‘सुपरमॉम’ के महत्व को भी रेखांकित किया गया है। ‘सुपरमॉम’ दक्षिण अफ्रीका से लाई गईं ऐसी मादा चीतों को कहा जाता है, जो अधिक स्वस्थ और प्रजनन क्षमता के लिहाज से बेहतर होती हैं।

विशेषज्ञों ने कहा कि भारत में लाए गए चीतों में से सात मादा हैं और उनमें से केवल एक के ‘सुपरमॉम’ होने की उम्मीद है।

विशेषज्ञों ने भारतीय अधिकारियों को चीतों को पुन: बसाने के लिए कूनो के स्थान पर अन्य स्थलों की पहचान करने की सलाह दी।










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