Sengol: ‘सेंगोल’ को नई संसद में रखे जाने पर जानिये क्या बोले इलाहाबाद संग्रहालय के अधिकारी, पढ़ें राजदंड का इतिहास
सात दशकों तक इलाहाबाद संग्रहालय की शोभा बढ़ाने वाले ऐतिहासिक सेंगोल (राजदंड) को नये संसद भवन में स्थापित किए जाने पर इलाहाबाद संग्रहालय के अधिकारियों ने इसे गर्व का विषय बताया है।
प्रयागराज: सात दशकों तक इलाहाबाद संग्रहालय की शोभा बढ़ाने वाले ऐतिहासिक सेंगोल (राजदंड) को नये संसद भवन में स्थापित किए जाने पर इलाहाबाद संग्रहालय के अधिकारियों ने इसे गर्व का विषय बताया है।
चोल वंश के समय का यह ‘सेंगोल’ चांदी से बना है और इस पर सोने की परत चढ़ी है। यह 1947 में अंग्रेजों से सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक है। रविवार को इसे लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास स्थापित किया जाएगा।
प्रयागराज में आम भाषा में इसे ‘राजदंड’ कहा जाता है, जबकि संग्रहालय के रिकॉर्ड में इसका उल्लेख ‘सुनहरी छड़ी’ के रूप में किया गया है। संग्रहालय के अधिकारियों ने कहा कि इस खालीपन को भरने के लिए ‘सेंगोल’ का एक प्रतिरूप संग्रहालय में रखा जाएगा।
इलाहाबाद संग्रहालय के सहायक क्यूरेटर वमन वानखेड़े ने बताया कि इस संग्रहालय की नींव 14 दिसंबर, 1947 को पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा चंद्रशेखर आजाद पार्क में रखी गई थी और संग्रहालय को आम जनता के लिए 1954 में खोला गया था।
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उन्होंने कहा कि नेहरू जी अपने सभी उपहार इलाहाबाद संग्रहालय को देना चाहते थे और तब उन्होंने तत्कालीन क्यूरेटर एससी काला को इस सेंगोल के बारे में बताया था। इस सेंगोल की लंबाई करीब 138.4 सेंटीमीटर है।
वानखेड़े ने कहा कि यह इलाहाबाद संग्रहालय के लिए खुशी और गर्व की बात है कि इस सेंगोल को नयी संसद में स्थापित किया जा रहा है। इसे चार नवंबर, 2022 को राष्ट्रीय संग्रहालय, नयी दिल्ली को स्थानांतरित किया गया था।
जब इस सेंगोल को दिल्ली स्थानांतरित किया गया, उस समय इस संग्रहालय का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे प्रोफेसर राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) विश्वविद्यालय के कुलपति एके सिंह ने कहा कि यह ऐतिहासिक छड़ी फिर से इतिहास का हिस्सा बनने जा रही है। सिंह के पास इस संग्रहालय का प्रभार 13 महीनों तक रहा।
उन्होंने बताया कि केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय से उनके पास एक फोन आया था जिसमें कहा गया कि इस सेंगोल को दिल्ली स्थानांतरित किया जाना है। इस प्रक्रिया को पूरा करने में दो से तीन महीने लगे।
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सिंह ने कहा कि जब स्थानांतरण प्रक्रिया जारी थी, तब राज्यपाल महोदया (आनंदी बेन पटेल) ने कहा कि इस ‘सेंगोल’ का एक प्रतिरूप इलाहाबाद संग्रहालय में रखा जाना चाहिए। हमने इस प्रतिरूप का ऑर्डर पहले ही दे दिया है और इसे जल्द संग्रहालय में स्थापित कर दिया जाएगा।
इलाहाबाद संग्रहालय के निदेशक राजेश प्रसाद ने कहा कि इस सेंगोल को नये संसद भवन में स्थापित करने का समाचार फैलते ही इस सेंगोल का ऐतिहासिक महत्व जानने के लिए संग्रहालय आने वाले लोगों की संख्या काफी बढ़ गई है।
इस बीच, लोकसभा सांसद और प्रयागराज की पूर्व महापौर रीता बहुगुणा जोशी ने स्वीकार किया कि उन्होंने संग्रहालय में इस सेंगोल को कभी नहीं देखा, लेकिन अब हजारों लोग इसे संसद भवन में देखेंगे।
इलाहाबाद संग्रहालय केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अधीन आता है और इसकी पदेन अध्यक्ष राज्य की राज्यपाल हैं।