

नीतिगत दर पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का फैसला संतुलित और समझदारी भरा है। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
मुंबई: नीतिगत दर पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का फैसला संतुलित और समझदारी भरा है। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है।
उन्होंने कहा कि इससे चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक पहलुओं पर केंद्रीय बैंक के आशावाद का पता चलता है।
इससे पहले आरबीआई ने मई, 2022 से अपनी सभी मौद्रिक नीति समीक्षा बैठकों में रेपो दर में बढ़ोतरी की थी। हालांकि, बृहस्पतिवार को उसने ठहराव के पक्ष में फैसला किया। इसके साथ ही मुद्रास्फीति और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य के मद्देनजर रेपो दर में एक और बढ़ोतरी का अनुमान सही साबित नहीं हुआ।
केंद्रीय बैंक मई, 2022 से रेपो दर को ढाई प्रतिशत बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर चुका है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘‘रेपो दर में बदलाव न करने के लिए आम सहमति से लिया गया फैसला नीति का आश्चर्यजनक पहलू है। यह फरवरी की नीति के विपरीत इसके नजरिये में आशावाद की उम्मीद जगाता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कुल मिलाकर एक बेहद संतुलित और समझदारी भरा फैसला लिया गया है, जो स्थिरता सुनिश्चित करता है।’’
हाउसिंग डॉट कॉम के समूह मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) ध्रुव अग्रवाल ने कहा कि आरबीआई का फैसला आमतौर पर रियल एस्टेट उद्योग और विशेष रूप से घर खरीदारों के लिए एक बड़ी राहत है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर आरबीआई दर में एक और बढ़ोतरी करता तो ब्याज दरें रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच जातीं, जो आवास क्षेत्र में सकारात्मक भावना को प्रभावित कर सकता था।’’
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, कमोडिटी पार्टिसिपेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीपीएआई) के अध्यक्ष नरिंदर वाधवा ने उम्मीद जताई कि यह ठहराव लंबा चलेगा। उन्होंने कहा कि आरबीआई के इस फैसले से बाजार खुश है।
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