जानिये इस खबर में कौन हैं महराजगंज के नये एसपी प्रदीप गुप्ता, क्या है रोहित सिंह सजवान के तबादले के पीछे की अंदरुनी कहानी?

जिले के विवादित और उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक निष्क्रिय आईपीएस अधिकारियों में से एक रोहित सिंह सजवान को हटाकर महराजगंज जिले में प्रदीप गुप्ता को नया पुलिस अधीक्षक बनाया गया है। डाइनामाइट न्यूज़ की इस खबर में जानें कौन हैं प्रदीप गुप्ता

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 14 September 2020, 10:10 AM IST
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महराजगंज: जिले के नये पुलिस अधीक्षक प्रदीप गुप्ता पीपीएस से प्रमोशन पाकर आईपीएस बने हैं। महराजगंज जिले में तैनाती से पहले ये कौशाम्बी में एसपी थे। 

महराजगंज तैनाती से पहले ये यूपी सतर्कता अधिष्ठान में एसपी थे। लखनऊ के रहने वाले प्रदीप बतौर सीओ औऱ एएसपी कई जिलों में तैनात रहे। ये लखनऊ के मूल निवासी हैं। 

डाइनामाइट न्यूज़ को भरोसेमंद सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सूबे के पूर्व कैबिनेट मंत्री और जिले के बगल की सीट से भाजपा के एक वरिष्ठ विधायक एसपी की निष्क्रियता से नाराज थे। इस वरिष्ठ नेता का गहरा संबंध महराजगंज जिले से है और पूर्व में महराजगंज जिले की एक सीट से कई बार विधायक रह चुके हैं। बड़े राजनीतिक परिवार से आने वाले इस नेता ने महराजगंज के एक मामले को लेकर एसपी को कई बार निर्देश दिया लेकिन एसपी अपने अहम से बाहर नहीं आ पा रहे थे, नतीजा उनको जिले से विदा कर दिया गया।   

बढ़ते क्राइम से शासन खफा, सीओ नौतनवा का गैर जनपद तबादला, एक और बड़े अफसर को निपटाने की तैयारी शीर्षक से यह खबर दो दिन पहले दी डाइनामाइट न्यूज़ ने प्रकाशित की थी और 48 घंटे के अंदर यह खबर सच साबित हुई है।

महज सात साल की नौकरी वाले अनुभवहीन आईपीएस रोहित सिंह सजवान महराजगंज जिले के अपने कार्यकाल में अनगिनत मामलों को लेकर विवादित रहे। 

कितनी भी बड़ी से बड़ी घटना क्यों न हो जाये ये कभी भी मौके पर नहीं पहुंचते थे। इनका पूरा कार्यकाल सवालों के घेरे में है। पुलिसिंग से अधिक ये डीएम के पीछे घूम और फोटो खींचा अपना दिन पूरा करते थे। 

इनकी निष्क्रियता का आलम ये रहा कि पूरे महकमे में चर्चा रही कि पुराने अपर पुलिस अधीक्षक जब तक जिले में रहे जिले की कप्तानी वही चलाते रहे रोहित अपने बंगले में आराम फरमाते रहे। कितनी भी बड़ी से बड़ी वारदात हो जाय, ये मौके पर पहुंचते तक नहीं थे। शाम 4 बजे से 7 बजे तक अपना सरकारी सीयूजी नंबर टेलीफोन ड्यूटी को सौंप ये अपने आवास में आराम फरमाते रहते थे। इनके काल में जिले में अपराधों की बाढ़ आ गयी थी।

आये दिन रात के अंधेरे में ये अकेले गाड़ी लेकर कहां निकलते थे, इस सवाल का जवाब हर कोई जानना चाहता है।

इनके कार्यकाल में अपराधियों के साथ पुलिसिया नापाक गठजोड़ का Textbook Example देखने को मिला। एक के बाद ताबड़तोड़ फर्जी मुकदमे निर्दोषों पर इन्होंने लिखवाये। तमाम पत्रकारों पर फर्जी मुकदमे इन्होंने लिखवाये।

इसी में से एक है 14 मई को डाइनामाइट न्यूज़ के जांबाज पत्रकारों पर लिखा गया फर्जी मुकदमा। एसपी रोहित सिंह सजवान ने पूर्व अपर पुलिस अधीक्षक आशुतोष शुक्ला के बहकावे में आकर डाइनामाइट न्यूज़ के जांबाज पत्रकारों पर फर्जी मुकदमा लिखवाने के लिए जिले के एक कुख्यात अपराधी को अपनी साजिश में शामिल किया। यह अपराधी जिले का कुख्यात हिस्ट्रीशीटर और गैंगेस्टर है। हत्या, लूट, रंगदारी समेत अनगिनत मामले इस पर दर्ज है। दो-दो बार गुंडा एक्ट लगा इसे जिला बदर किया जा चुका है। ऐसे कुख्यात अपराधी को रोहित सिंह सजवान ने सामाजिक कार्यकर्ता बना एक फर्जी तहरीर ली औऱ इसी आधार पर एक फर्जी मुकदमा दर्ज करवा दिया। जब संबंधित थानेदार ने इस फर्जी मुकदमे को दर्ज करने से मना किया तो एसपी ने जिले से मुकदमा दर्ज करने का आदेश भेजा।

फर्जी मुकदमा दर्ज किये का भारी विरोध जनता ने किया और काफी तीखी प्रतिक्रिया दी। इस फर्जीवाड़े की खबर उच्च स्तर तक पहुंची।

इस मामले में राष्ट्रीय मानव अधिकार आय़ोग ने 04 सितंबर 2020 को उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव गृह को नोटिस जारी तक जवाब तलब किया है कि जब अपराध घटा ही नहीं तो फिर कैसे मुकदमा दर्ज किया गया? इस मामले में एसपी रोहित सिंह सजवान, पूर्व एएसपी आशुतोष शुक्ला समेत अन्य आरोपियों की गर्दन फंसनी तय है। इनसे राष्ट्रीय मानव अधिकार आय़ोग को जवाब देते नहीं बन रहा है। आय़ोग के सख्त नोटिस के बाद तीन दिन पहले ही यूपी के गृह विभाग से पूरे मामले में एसपी को नोटिस भेज जवाब तलब किया गया है। 

विवादित आईपीएस रोहित सिंह सजवान को बरेली का एसएसपी बनाया गया है।

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