नये राज्यपालों की नियुक्ति में नौकरशाहों को पीएम मोदी ने दिया बड़ा झटका

डीएन ब्यूरो

हाल के कई वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है जब सरकार द्वारा नियुक्त सभी राज्यपाल राजनीतिक पृष्ठभूमि से है और इनमें कोई भी रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स नहीं है। भारत सरकार के इस कदम की राजनीतिक हलकों में खूब सराहना की जा रही है। डाइनामाइट न्यूज़ की स्पेशल रिपोर्ट..

जम्मू-कश्मीर के नये राज्यपाल सत्यपाल मलिक
जम्मू-कश्मीर के नये राज्यपाल सत्यपाल मलिक


नई दिल्ली: सरकार द्वारा बुधवार शाम को देश के सात राज्यों में नये राज्यपालों की नियुक्ति की गयी। हाल के वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ है जब नये राज्यपालों में कोई भी ब्यूरोक्रेट्स नहीं है और सभी राजनीतिक पृष्ठभूमि से संबंध रखते है। सरकार के इस निर्णय को लेकर राजनीतिक गलियारों में खूब चर्चा की जा रही है। विशेष तौर पर विभिन्न पार्टियों के नेता इसकी जमकर सराहना कर रहे हैं।  

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देश जब आजाद हुआ तबसे यह परंपरा रही थी कि अनुभवी राजनेताओं को राज्यों में राज्यपाल नियुक्त किया जाता था ताकि व्यवस्था पर बारीक नजर रखी जा सके लेकिन इधर के कुछ दशक में हर जगह रिटायरमेंट के बाद टांग अड़ाने और अपनी जगह बनाने की जुगत में लगे रहने वाले रिटायर्ड नौकरशाहों ने राज्यपाल से लेकर उपराष्ट्रपति के पद पर अपने आका नेताओं को खुश कर जगह बनाने लगे।

इस मामले में सबसे खराब ट्रैक रिकार्ड कांग्रेस का रहा है। मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद इस पर सख्ती से लगाम लगायी और ज्यादातर राज्यों में राजनेताओं को राजभवन में बिठाया। इसकी जगह-जगह सराहना हो रही है। 

डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में जाने नये राज्यपालों के बारे में। आईए डालते हैं एक नजर सभी नये राज्यपालों पर..  

लालजी टंडन

1.    लालजी टंडन (बिहार): 12 अप्रैल 1935 को पैदा हुए लालजी टंडन ने बीजेपी के कार्यकर्ता के रूप में अपने करियर की शुरूआत की। टंडन को पूर्व प्रधानमंत्री व भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का करीबी माना जाता हैं। 2009 में हुए 15वीं लोकसभा के चुनाव में डंडन ने लखनऊ से चुनाव लड़ा और बीजेपी से सांसद चुने गए। सत्यपाल मलिक को हटाकर इन्हें बिहार का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया है। 
  
2.    सत्यपाल मलिक (जम्मू- कश्मीर): 30 सितंबर 2017 को मलिक को बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। मलिक बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। 1989 से 1991 तक ये बीजेपी की सीट से अलीगढ़ से सांसद भी रहे। इन्होंने जम्मू-कश्मीर में एनएन वोहरा की जगह ली है। 


3.    गंगा प्रसाद (सिक्किम): 1994 में बिहार के विधान परिषद के लिए चुने गए प्रसाद 18 साल तक इसके सदस्य रहे। 30 सितंबर 2017 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इन्हें मेघालय का राज्यपाल नियुक्त किया था। अब इन्हें सिक्किम का राज्यपाल बनाया गया है। इन्होंने श्रीनिवास दादासाहेब पाटिल की जगह ली है। 

सत्यदेव नारायण आर्य

4.    सत्यदेव नारायण आर्य (हरियाणा): नालंदा के राजगीर से भाजपा की तरफ से 8 बार विधायक रह चुके आर्य बिहार से ताल्लुक रखते हैं। आर्य दो बार बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। 2015 में हुए आम चुनावों में बीजेपी ने इन्हें राजगीर से उम्मीदवार बनाया था लेकिन पार्टी की अंदरूनी अनबन की वजह से जदयू प्रत्याशी ने इन्हें हरा दिया। अब आर्य को हरियाणा की कमान सौंपी गई है, इन्हें कप्तान सिंह सोलंकी की जगह नया राज्यपाल नियुक्त किया गया है। 

 बेबी रानी मौर्य


5.    बेबी रानी मौर्य (उत्तराखंड): आगरा के बालूगंज की रहने वाली मौर्य यहां से मेयर भी रह चुकी हैं। ये राज्य महिला आयोग की कमान भी संभाल चुकी हैं। यह वर्तमान में यूपी बाल आयोग की सदस्य है। उत्तराखंड में मारग्रेट आल्वा के बाद यह दूसरी महिला हैं जिन्हें प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। बेबी रानी मौर्य एम, बीएड हैं, इन्होंने के.के. पॉल की जगह ली है। 

6.    तथागत रॉय( मेघालय): कोलकत्ता में पैदा हुए रॉय इंजीनियर और पूर्व में प्रोफेसर भी रह चुके हैं। मई 2015 में इन्हें त्रिपुरा का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। 2002 से 2006 तक पश्चिम बंगाल की बीजेपी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। अब इन्हें मेघालय का राज्यपाल बनाया गया है, इन्होंने गंगा प्रसाद की जगह ली है। 

कप्तान सिंह सोलंकी


7.    कप्तान सिंह सोलंकी (त्रिपुरा): मध्यप्रदेश के ग्रहपारा भिंड जिले में पैदा हुए सोलंकी को त्रिपुरा की कमान सौंपी गई है। ये मध्यप्रदेश से राज्यसभा सांसद है और पूर्व में राजस्थान से भाजपा के प्रभारी भी रह चुके हैं। इन्हें मोदी सरकार ने त्रिपुरा में तथागत रॉय की जगह पर चुना है।  

बड़ी चुनौतियां

इन 7 राज्यों के लिए चुने गए इन राज्यपालों के सामने जहां अब नई जिम्मेदारी रहेगी वहीं इन्हें राज्यों में चल रही वर्तमान स्थिति को भी बदलने की चुनौती होगी। खासतौर पर जम्मू- कश्मीर और हरियाणा जैसे राज्यों में। एक तरफ जहा जम्मू- कश्मीर में आए दिन आतंकवादी हमले और यहां के नौजवान आजादी की मांग को लेकर गलत रहा अपना रहे हैं वहीं हरियाणा में दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। जिसके लिए नए प्रावधान व कानून की जरूरत है।










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