Know about Narada Sting Case: आप जानते है क्या है बंगाल का नारदा स्टिंग केस? जिस पर मचा है बवाल

डीएन ब्यूरो

पश्चिम बंगाल में एक बार फिर नारदा केस गर्माने लगा है। सीबीआई ने सोमवार को इस केस में ममता बनर्जी की सरकार दो मंत्रियों समेत चार नेताओं को गिरफ्तार किया। डाइनामाइट न्यूज की इस रिपोर्ट में जानिये आखिर क्या है नारदा स्टिंग केस

चार नेताओं की गिरफ्तारी के खिलाफ कोलकाता में CBI ऑफिस के बाहर TMC का प्रदर्शन
चार नेताओं की गिरफ्तारी के खिलाफ कोलकाता में CBI ऑफिस के बाहर TMC का प्रदर्शन


नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के चर्चित और लगभग 5-6 साल पुराने नारदा घोटाले को लेकर देश की राजनीति एक बार फिर गर्माने लगी है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इस केस में आज बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के मंत्री फिरहाद हाकीम, सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्रा, सोवन चटर्जी की गिरफ्तार किया है। हालांकि इस गिरफ्तारी को लेकर सवाल उठने शुरू हो गये हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीबीआई दफ्तर पहुंचकर अफसरों से तीखे सवाल किये और इसके लिये केंद्र सरकार पर पक्षपात का आरोप लगाया।

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देश के चर्चित और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने भी शारदा केस में इन चार टीएमसी नेताओं की गिरफ्तारी को लेकर सीबीआई और केंद्र सरकार को सवालों के कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने इस मामले में सोशल मीडिया पर तीम ट्विट करते हुए पूछा कि इतने पुराने मामले में अब गिरफ्तारी क्यों? 

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डाइनामाइट न्यूज की इस रिपोर्ट में जानिये आखिर क्या है पश्चिम बंगाल का यह चर्चित नारदा स्टिंग ऑपरेशन या नारदा घोटाला? 

2014 का स्टिंग 2016 में हुआ सार्वजनिक

नारदा स्टिंग ऑपरेशन या नारदा स्कैम लगभग 6-7 साल पुराना है। यह मामला नारद टीवी न्यूज चैनल के सीईओ मैथ्यू सैमुअल द्वारा किये गये एक स्टिंग ऑपरेशन से जुड़ा है।  मैथ्यू सैमुअल ने यह कथित स्टिंग ऑपरेशन 2014 में किया था। लेकिन इस स्टिंग ऑपरेशन का टेप 2016 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के ठीक पहले सार्वजनिक हुआ था।

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काम के बदले भारी भरकम रिश्वत   

इस स्टिंग ऑपरेशन के टेप में तृणमूल कांगेस के कुछ मंत्री, सांसद, विधायक और कोलकाता नगर निगम के मेयर शोभन चटर्जी को किसी काम कराने के एवज़ में मोटी रकम देते नज़र आ रहे थे। टेप में लाभ के बदले में कंपनी के प्रतिनिधियों से कथित तौर पर भारी भरकम रिश्वत लेते देखा गया था। इस स्टिंग ऑपरेशन को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मार्च 2017 में सीबीआई जांच का आदेश दिये थे। 

ये नेता आये थे वीडियो में नजर

इस वीडियो में नज़र आने और कंपनी के प्रतिनिधियों को काम के बदले मोटी रकम देने वाले नेताओं में मुकुल राय, सुब्रत मुखर्जी, सुल्तान अहमद, शुभेंदु अधिकारी, काकोली घोष दस्तीदार, प्रसून बनर्जी, शोभन चटर्जी, मदन मित्र, इक़बाल अहमद और फिरहाद हकीम शामिल थे। उनके अलावा एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी एमएच अहदम मिर्ज़ा को भी पैसे लेते दिखाया गया था।

हाई कोर्ट पहुंचा मामला, आपराधिक मामला दर्ज

इस स्टिंग ऑपरेशन को विपक्ष ने तत्कालीन विधानसभा चुनावों में बड़ा मुद्दा बनाया था। हालांकि ममता सरकार ने इस वीडियो को फ़र्ज़ी बताया और इस पूरे मामले को साज़िश करार दिया। ममता सरकार ने स्टिंग करने वाले मैथ्यू सेमुअल के ख़िलाफ़ भी आपराधिक मामला दर्ज कर उनको पूछताछ के लिए समन भेजा था। हालांकि बाद में कोलकाता हाईकोर्ट से मैथ्यू को राहत मिल गई थी।

फोरेंसिक जांच में सही पाया गया वीडियो 

ममता बनर्जी शुरू से ही इस स्टिंग ऑपरेशन को एक राजनीतिक साज़िश करार देती रही है। उनका आरोप है कि विपक्षी दलों खासकर भाजपा ने इस स्टिंग वीडियो को जारी किया। हाईकोर्ट के आदेश पर इस केस की जांच की गई। फोरेंसिक जांच में भी उस वीडियो को सही पाया गया था।

हाई कोर्ट ने सीबीआई को सौंपा जांच का जिम्मा 

हाई कोर्ट ने ही सीबीआई को जांच का जिम्मा सौंपा और जरूरत पड़ने पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिये था। सीबीआई ने वीडियो में नजर आये कई नेताओं पर एफआईआर दर्ज की गई। अब एक बार फिर नारदा घोटाले का जिन्न बोतल से बाहर निकल आया है और यह फिर बड़ा राजनीतिक रंग लेता नजर आ रहा है।










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