केरल हाई कोर्ट से ‘थी चामुंडी थय्यम’ में बच्चों के भाग लेने पर रोक लगाने का अनुरोध

डीएन ब्यूरो

केरल उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल करके राज्य के उत्तर मालाबार क्षेत्र में धार्मिक रिवाज के तौर पर होने वाले नृत्य ‘थी चामुंडी थय्यम’ में बच्चों के शामिल होने पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

केरल हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
केरल हाई कोर्ट (फाइल फोटो)


कोच्चि: केरल उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल करके राज्य के उत्तर मालाबार क्षेत्र में धार्मिक रिवाज के तौर पर होने वाले नृत्य ‘थी चामुंडी थय्यम’ में बच्चों के शामिल होने पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस नृत्य में बच्चों को 101 बार अंगारों के ऊपर उछाला जाता है।

न्यायमूर्ति अनिल के नरेंद्रन और न्यायमूर्ति कौसर इडप्पगथ की पीठ ने मंगलवार को याचिकाकर्ता एनजीओ को मामले में मालाबार देवस्वोम बोर्ड और उस मंदिर के न्यासियों को वादी बनाने को कहा जिसके तहत नृत्य प्रस्तुति दी जाती है।

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एनजीओ ‘दिशा’ की याचिका के अनुसार ‘थी चामुंडी थय्यम’ या ‘ओट्टाकोलम थय्यम’ का आयोजन चिरक्कल कोविलकम और चिरक्कल मंदिर ट्रस्ट अपने वार्षिक समारोह के दौरान करते हैं।

एनजीओ ने अपनी याचिका में दलील दी है कि यह प्रथा उन बच्चों के लिए नुकसानदेह है जो इस प्रस्तुति में भाग लेते हैं और यह उनके जीवन के मौलिक अधिकारों का हनन भी है।

आरोप है कि नृत्य प्रस्तुति के लिए चयनित बच्चे पिछड़े समुदाय के होते हैं और यह ‘सामंतवादी अतीत की निशानी’ है।

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वकील ए के प्रीथा के माध्यम से दायर याचिका में बच्चों के साथ प्रस्तुति पर रोक लगाने की मांग की गयी है।

अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 22 मई की तारीख तय की।










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