मध्य पदेश में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल तीसरे दिन भी जारी रही

डीएन ब्यूरो

कुछ दिन पहले हुई एक सहकर्मी की मौत के विरोध में भोपाल स्थित गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) के 250 से अधिक जूनियर डॉक्टरों ने बृहस्पतिवार को तीसरे दिन भी अपनी हड़ताल जारी रखी।

जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल (फाइल)
जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल (फाइल)


भोपाल: कुछ दिन पहले हुई एक सहकर्मी की मौत के विरोध में भोपाल स्थित गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) के 250 से अधिक जूनियर डॉक्टरों ने बृहस्पतिवार को तीसरे दिन भी अपनी हड़ताल जारी रखी।

प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों ने दावा किया कि जीएमसी में हड़ताल के कारण 40-45 सर्जरी स्थगित कर दी गईं और बाह्य रोगी विभागों और आपातकालीन सेवाओं में 3,000 रोगियों की जांच प्रभावित हुईं। जीएमसी में भोपाल सहित पड़ोसी जिलों से रोजाना सैकड़ों लोग इलाज के लिए आते हैं।

इन डॉक्टरों ने कहा कि वे डॉ. अरुणा कुमार के जीएमसी से स्थानांतरण की मांग कर रहे हैं, जिसे एक दिन पहले प्रसूति और स्त्री रोग विभाग के प्रमुख के रूप में हटाया गया है।

जीएमसी के डीन डॉ. अरविंद राय ने कहा कि अस्पताल अधीक्षक इस अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के बारे में बात करने के लिए सही व्यक्ति होंगे। हालांकि, उन्होंने कहा कि एक आकस्मिक योजना बनाई गई है।

राय ने कहा, ‘‘जीएमसी से डॉ. कुमार को हटाने का अधिकार राज्य सरकार के पास है।’’

उन्होंने कहा कि प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की 27 वर्षीय स्नातकोत्तर छात्रा सरस्वती बाला की कथित आत्महत्या से पहले उनके कार्यालय में ‘जहरीली कार्य संस्कृति’ के बारे में कोई शिकायत नहीं मिली थी।

जूनियर डॉक्टरों के संगठन जूडा की जीएमसी इकाई के अध्यक्ष डॉ. संकेत सीते ने पीटीआई-भाषा को बताया कि उनके काम पर लौटने से पहले अस्पताल में व्याप्त ''जहरीली कार्य संस्कृति'' खत्म होनी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि डॉ. कुमार को अस्पताल से हटाया जाए और जीएमसी की ‘जहरीली कार्य संस्कृति’ को खत्म किया जाए। अगर वह इसी अस्पताल में रहती हैं, तो छात्रों को डर है कि उनका भविष्य खराब हो सकता है।’’

उन्होंने दावा किया कि बाल रोग विभाग की एक अन्य पीजी छात्रा ने चार जनवरी को आत्महत्या कर ली थी।

डॉ. सीते ने दावा किया कि 50 से 70 रेजिडेंट डॉक्टर शुक्रवार को हड़ताल में शामिल होंगे।

डॉ. बाला ने सोमवार को कथित तौर पर बेहोशी का इंजेक्शन लगाकर आत्महत्या कर ली थी।

बार-बार प्रयास करने के बावजूद डॉ. अरुणा कुमार से संपर्क नहीं हो सका।

 










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