जम्मू-कश्मीर: गुज्जर समुदाय ने पहाड़ी आरक्षण विधेयक खारिज नहीं होने पर सड़कों पर उतरने की धमकी दी

जनजातीय समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाली शीर्ष संस्था ‘ऑल रिजर्व्ड कैटेगरीज ज्वाइंट एक्शन कमेटी’ (एआरसीजेएसी) ने कड़ी चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अगर पहाड़ी समुदाय के लिए आरक्षण के प्रस्ताव वाले विधेयक को संसद के आगामी सत्र में पेश किया गया तो वे सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे।

Updated : 19 July 2023, 10:18 AM IST
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जम्मू: जनजातीय समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाली शीर्ष संस्था ‘ऑल रिजर्व्ड कैटेगरीज ज्वाइंट एक्शन कमेटी’ (एआरसीजेएसी) ने कड़ी चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अगर पहाड़ी समुदाय के लिए आरक्षण के प्रस्ताव वाले विधेयक को संसद के आगामी सत्र में पेश किया गया तो वे सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे।

एआरसीजेएसी की ओर से वकील अनवर चौधरी ने विधेयक पर कड़ा विरोध जताया और दावा किया कि यह अवैध और असंवैधानिक है।

उन्होंने तर्क दिया कि पहाड़ी लोग अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे के मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं और इस बात पर जोर दिया कि विधेयक पर चर्चा भी नहीं की जानी चाहिए और इसे पूरी तरह से हटा दिया जाना चाहिए।

एक अन्य वकील, मोहम्मद आजम ने जनसांख्यिकी का मुद्दा उठाया और कहा कि पहाड़ी समुदाय की आबादी गुज्जर समुदाय के लोगों की संख्या से अधिक है।

उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि अगर विधेयक को आगे बढ़ाया गया तो सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जम्मू क्षेत्र की हर विधानसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ेगा।

अधिवक्ता मोहम्मद अयूब चौधरी ने सरकार को कड़ा संदेश भेजा, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि जम्मू-कश्मीर में गुज्जर और बकरवाल उनके अधिकारों को छीनकर ऊंची जाति के व्यक्तियों को दिया जाना स्वीकार नहीं करेंगे।

उन्होंने चेतावनी दी कि वे 60 विधानसभा सीट पर चुनावी नतीजों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं और आगाह किया कि अगर लोग सड़कों पर उतर आए तो स्थिति को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाएगा।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले साल अक्टूबर में कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहाड़ी समुदाय के लिए आरक्षण के पक्ष में हैं और यह आरक्षण निकट भविष्य में लागू किया जाएगा।

 

Published : 
  • 19 July 2023, 10:18 AM IST

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