

इनकम टैक्स विभाग देशभर में एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स और पेट्रोल पंप मालिकों के खिलाफ छापेमारी कर रहा है। विभाग ने आरोप लगाया है कि नोटबंदी के दौरान इन लोगों ने ज्यादा सेल दिखाकर 500-1000 के पुराने नोट बैंकों में जमा कराए है।
नई दिल्ली: सरकार के सबसे बड़े फैसले के बाद लोगो ने काफी कोशिश की अपने कालेधन को सफेद बनाने की पर फिर भी नजर में आ ही गए सारे कालेधन जी हां आपकों बता दे नोटबंदी के बाद लोगों के बेकार हुए कालेधन को गैरकानूनी ढंग से सफेद करने के शक में आयकर विभाग (आईटी) ने देशभर के पेट्रोल पंपों और गैस सिलेंडर वितरकों पर छापे मारने शुरू कर दिए हैं।
कालेधन पर अंकुश के मकसद से 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों का चलन बंद किए जाने की घोषणा के बाद भी पेट्रोल और रसोई गैस सिलेंडर खरीदने के लिए 3 दिसंबर तक इन नोटों के इस्तेमाल की इजाजत थी। ऐसे में आयकर अधिकारियों को शक है कि पेट्रोल पंप मालिकों ने इस छूट का गलत फायदा उठाते हुए इसकी आड़ में लोगों के कालेधन को सफेद किया। इसी शक के बिना पर आयकर अधीनियम की धारा 133-ए के तहत विभाग पेट्रोल पंप मालिकों के कैशबुक की जांच कर रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 6 मार्च से ही पेट्रोल पंप और रसोई गैस वितरकों के दफ्तर में ये सर्वे किए जा रहे हैं और सेल व डिपॉजिट में इस अंतर का ब्यौरा मांगा है। वहीं आयकर नोटिस पर संतोषजनक जवाब नहीं दे पाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। उनसे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत टैक्स और उस पर 49.90% का जुर्माना वसूला जा रहा है।
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