

देश के जाने माने वरिष्ठ पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत के प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद उनके साथ बिताए गए दस सालों के समय को याद किया है।
नई दिल्ली: देश के जाने माने वरिष्ठ पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत के प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद उनके साथ बिताए गए दस सालों के समय को याद किया है।
मनोज टिबड़ेवाल, जिनका करियर 25 वर्षों से समाचार जगत में गूंज रहा है, उन्होंने दूरदर्शन न्यूज़ नई दिल्ली में बतौर मुख्य राजनीतिक संवाददाता और वरिष्ठ एंकर के रूप में अपने 10 साल के करियर के दौरान डॉ मनमोहन सिंह के साथ देश-विदेश की अनगिनत यात्राएं की हैं। इस दौरान की कई खास बातों को कई यादगार पलों को साझा किया।
मनोज टिबड़ेवाल आकाश ने बताया, "जब डॉ सिंह असम से राज्यसभा सांसद होते थे, तमाम बार चुनाव प्रचारों में उत्तर प्रदेश के अमरोहा से लेकर असम की राजधानी गुवाहटी तक में उनके साथ मेरा विशेष विमान में जाना हुआ।"
मनमोहन सिंह की शख्सियत बहुत ही अज़ीम किस्म की रही है। उनके बारे में जितना भी कहा जाए वो कम है। वाकई वे ट्रू स्टेट्स पर्सन थे। किसी से भी तेज बोलना तो मानो उन्होंने सीखा ही नहीं। उनके दिल में एक कसक थी कैसे कश्मीर की समस्या का समाधान हम करें?
वरिष्ठ पत्रकार ने आगे बताया कि डॉ मनमोहन सिंह के यूपीए के दूसरे कार्यकाल में उन्हें डॉ सिंह के साथ श्रीनगर जाने का मौका मिला। वहां के गेस्ट हाऊस में उनका कश्मीर के विभिन्न वर्गों के लोगों के साथ मिलने का एक घंटे का समय निर्धारित था। हालांकि, उनका एक घंटे का कार्यक्रम साढ़े पांच घंटे तक चला।
उन्होंने आगे कहा, "डॉ. मनमोहन सिंह की शख्सियत इतनी शांत और सटीक थी कि हर बातचीत में एक गहरी सोच दिखाई देती थी। वह हमेशा देश के हित में निर्णय लेते और उनकी नज़र हमेशा लंबी अवधि के दृष्टिकोण पर होती थी।"
मनोज टिबड़ेवाल ने बताया कि डॉ. सिंह के साथ हर बैठक में एक तरह की गहरी विचारशीलता और शांति का माहौल रहता था। "उन्होंने कभी भी जल्दबाजी में फैसले नहीं लिए, बल्कि सोच-समझकर और लंबी रणनीति के तहत ही कार्य किया। यही उनकी असली ताकत थी।"
उनकी इस यात्रा की कहानी में डॉ. मनमोहन सिंह के व्यक्तित्व की गहरी छाप थी। उनके साथ बिताए गए वो पल न केवल राजनीति के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण थे, बल्कि मानवता, सद्भाव और विवेक के भी सशक्त उदाहरण थे।
मनोज टिबड़ेवाल आकाश की जुबानी, डॉ. मनमोहन सिंह की शख्सियत को समझने का एक अनमोल अवसर था।
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