बड़ा खुलासा: भारत समय से पहले तय कर सकता है इस चुनौतीपूर्ण वैश्विक लक्ष्य को, पढ़िये पूरी रिपोर्ट

डीएन ब्यूरो

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा है कि 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य निर्धारित करने वाला भारत इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को तय समय से पहले भी हासिल कर सकता है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

क्रिस्टालिना जॉर्जीवा
क्रिस्टालिना जॉर्जीवा


वाशिंगटन: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा है कि 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य निर्धारित करने वाला भारत इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को तय समय से पहले भी हासिल कर सकता है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार जॉर्जीवा ने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि भारत जैसा बड़ा देश जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाए।

उन्होंने कहा कि भारत ने जो प्रयास किया है वह ‘‘काफी सराहनीय’’ है क्योंकि यह एक ऐसा देश है जहां लगभग 1.4 अरब लोग हैं जिन्हें विकास के अवसरों की जरूरत है।

जॉर्जीवा ने  कहा कि फिर भी भारत बहुत महत्वाकांक्षी उद्देश्यों को पूरा करने में कामयाब हो रहा है। उन्होंने ऊर्जा के मुख्य स्रोत के रूप में सौर ऊर्जा का उपयोग करने और अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से इसे वैश्विक स्तर पर ले जाने संबंधी उसके कार्यक्रम के लिए भारत की सराहना की।

गौरतलब है कि नवंबर 2021 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (यूएनएफसीसी) (कॉप-26) के 26वें सत्र में

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की थी कि भारत 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य का हासिल कर लेगा।

जॉर्जीवा ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘भारत ने 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य निर्धारित किया है और मैं वास्तव में मानती हूं कि जिस लगन के साथ देश इसे हासिल करने की दिशा में बढ़ रहा है, वह इसे तय समय से पहले हासिल कर सकता है।’’

उन्होंने कहा कि साथ ही, उनका मानना है कि भारत के लिए अग्रणी ताकत होने की बहुत उम्मीद है और निश्चित रूप से, भारत के लिए बड़ा मुद्दा कोयले के उपयोग को उस देश में चरणबद्ध करना है जहां कोयला इतना महत्वपूर्ण है।

जॉर्जीवा ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में अग्रणी भूमिका के लिए प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, ‘‘एक बात जो मैं जोड़ना चाहती हूं, वह यह कि प्रधानमंत्री मोदी व्यक्तिगत विकल्पों के महत्व के लिए बहुत अधिक दबाव डालते हैं और समाज में एक ऐसी संस्कृति का निर्माण करते हैं जिससे हमारे संसाधनों की रक्षा होती है।’’










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