‘प्रोजेक्ट चीता’ के दूसरे वर्ष में चीतों के प्रजनन, चयन की रणनीति पर जोर होगा : प्रोजेक्ट प्रमुख

डीएन ब्यूरो

‘प्रोजेक्ट चीता’ के प्रमुख एस पी यादव ने कहा कि भारत की ऐसे चीते मंगाने की योजना है, जिनकी चमड़ी मोटी नहीं होती हो। दरअसल, अफ्रीका से भारत लाए गए चीतों में से कुछ चमड़ी मोटी होने के कारण ही गंभीर संक्रमण की चपेट में आए थे और तीन चीतों की मौत की वजह भी इसे ही बताया गया था।पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

प्रोजेक्ट चीता
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नयी दिल्ली: ‘प्रोजेक्ट चीता’ के प्रमुख एस पी यादव ने कहा कि भारत की ऐसे चीते मंगाने की योजना है, जिनकी चमड़ी मोटी नहीं होती हो। दरअसल, अफ्रीका से भारत लाए गए चीतों में से कुछ चमड़ी मोटी होने के कारण ही गंभीर संक्रमण की चपेट में आए थे और तीन चीतों की मौत की वजह भी इसे ही बताया गया था।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नामीबिया से लाए गए चीतों को पिछले वर्ष 17 सितंबर को मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में छोड़ा था और इसी के साथ देश में ‘प्रोजेक्ट चीता’ की शुरुआत हुई थी। ‘प्रोजेक्ट चीता’ का रविवार को एक वर्ष पूरा हो रहा है।

पर्यावरण मंत्रालय में अतिरिक्त महानिदेशक (वन) एस पी यादव ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि ‘प्रोजेक्ट चीता’ के दूसरे वर्ष में पूरा ध्यान इन पशुओं के प्रजनन पर दिया जाएगा।

उन्होंने जोर देकर कहा कि चीतों को पहनाए गए रेडियो कॉलर के कारण उन्हें कोई संक्रमण नहीं हुआ था। हालांकि, अधिकारियों ने इन कॉलर की जगह दक्षिण अफ्रीका के उसी निर्माता के बनाए नये कॉलर लगाने का फैसला किया है।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के प्रमुख यादव ने कहा कि चीतों की अगली खेप दक्षिण अफ्रीका से मंगाई जाएगी और उन्हें मध्य प्रदेश के गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में छोड़ा जाएगा। इस अभयारण्य में चीतों को छोड़ने की तैयारी साल के अंत तक पूरी कर ली जाएगी।

 










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