विश्व बैंक के नये प्रमुख अजय बंगा के सामने बैकिंग क्षेत्र समेत इन संकटों के समाधान की बड़ी चुनौती

डीएन ब्यूरो

पिछले दो साल से विश्व बैंक में सुधार को लेकर शोर सुनाई दे रहा है, जिसकी वजह से कई प्रमुख अखबारों के प्रथम पृष्ठ और विभिन्न शासनाध्यक्षों के एजेंडे में यह शीर्ष स्थान पर बना हुआ है।पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

बंगा के समक्ष ऋण संकट के समाधान की चुनौती
बंगा के समक्ष ऋण संकट के समाधान की चुनौती


बोस्टन (अमेरिका):पिछले दो साल से विश्व बैंक में सुधार को लेकर शोर सुनाई दे रहा है, जिसकी वजह से कई प्रमुख अखबारों के प्रथम पृष्ठ और विभिन्न शासनाध्यक्षों के एजेंडे में यह शीर्ष स्थान पर बना हुआ है।

कई निम्न आय और मध्यम आय वर्ग के देशों को और उनकी आबादी की मदद करने की जिम्मेदारी विश्व बैंक के पास है, लेकिन इन देशों का ऋण संकट गहराता जा रहा है और जलवायु परिवर्तन की गंभीरता के बढ़ने के साथ उसके दुष्परिणाम का नुकसान भी बढ़ता जा रहा है। कई आलोचकों का आरोप है कि विश्व बैंक इन संकटों से निपटने में असफल साबित हो रहा है।

विश्व बैंक के निवर्तमान अध्यक्ष डेविस मालपास के इस्तीफे की वजह से अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारतीय मूल के अमेरिकी कारोबारी और मास्टरकार्ड के सीईओ अजय बंगा को उनके स्थान पर नामित किया है और पद संभालने के बाद उनके समक्ष संस्थान में सुधार की चुनौती अवश्यंभावी है। विश्व बैंक अध्यक्ष पद के लिए नामांकन की अंतिम तारीख 29 मार्च 2023 को समाप्त हो गयी और मैदान में बंगा एकमात्र उम्मीदवार हैं।

‘बंगा और विश्वबैंक को क्या करना चाहिए’, इस संबंध में सलाहों की कोई कमी नहीं है।

जी-20 ने हाल में रिपोर्ट जारी कर विश्व बैंक और अन्य बहुपक्षीय विकास बैंकों से अपील की थी कि वे कर्ज देने के नियमों में ढील दें, ताकि जरूरतमंद राष्ट्रों को अधिक राशि मुहैया कराई जा सके।

अर्थशास्त्री निकोलस स्टर्न और वरा सोंगवी नीत एक आयोग ने हाल में त्वरित और स्थायी निवेश को गति देने की अपील की थी, ताकि स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में कदम बढ़ाने, संयुक्त राष्ट्र के स्थायी विकास लक्ष्य और अति संवेदनशील देशों की बढ़ती जरूरतों को प्राथमिकता दी जा सके।

अफ्रीकी देशों के वित्त मंत्री जल्द ही उन कार्यों की सूची के साथ सामने आएंगे, जो उनके मुताबिक विश्व बैंक को करना चाहिए। वहीं भारत की वित्त मंत्री ने विश्व बैंक में सुधारों पर विचार करने के लिए विशेषज्ञों के समूह को जोड़ा है।

बंगा को इन कार्यों को करना है और उनके लिए सूची लंबी है। हालांकि, बंगा को कॉरपोरेट संस्कृति विरासत में मिली है, जबकि विश्व बैंक समूह आंतरिक रूप से बहुत केंद्रित है और प्रतिक्रिया देने में बहुत धीमा है।

मैंने विश्व बैंक समूह के लिए बाहर से काम किया है और मैं चार ‘सी’ की अहम भूमिका देखता हूं, जिनपर बंगा को पहले दिन से ही महारत हासिल करनी होगी। उनके पूर्व के कार्यों और विचारशील व्यक्तित्व को देखते हुए मुझे पूरा विश्वास है कि वह यह कर दिखाएंगे।

1) सीईओ की तरह कार्य करना और पूरे विश्व बैंक समूह को व्यवस्थित करना।

विश्व बैंक समूह के तहत चार बैलेंस शीट, तीन सांस्कृतिक और चार कार्यकारी बोर्ड काम करते हैं। इनके अलावा विवाद समाधान इकाई है। बंगा के लिए आवश्यक है कि वह विश्व बैंक समूह के प्रत्येक हिस्से के लिए स्पष्ट लक्ष्य तय करें और उनके साथ इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्रभावी तरीके से काम करें।

2) ऋण और जलवायु संकट से निपटने के लिए बतौर अध्यक्ष सहयोगी की भूमिका निभाएं।

विश्वबैंक समूह के कई उपभोक्ता देश कर्ज और जलवायु परिवर्तन से बढ़ते नुकसान- दोनों तरह के संकट का सामना कर रहे हैं।

कर्ज पर उच्च ब्याज से विकासशील देशों की अवसंरचना पर निवेश करने और अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है और उनके विश्व व्यापार में पीछे जाने का भय रहता है, क्योंकि अमेरिका द्वारा मुद्रस्फीति कटौती अधिनियम के तहत दी जाने वाली हरित सब्सिडी और यूरोपीय देशों द्वारा सीमा कार्बन कर की वजह से उनके लिए प्रतिस्पर्धा में बने रहना और मुश्किल हो जाता है।

इस तरह की समस्या का समाधान किसी एक संस्थान द्वारा नहीं किया जा सकता है। हालांकि, मौजूदा बहुपक्षीय विकास बैंक प्रणाली जैसे विश्व बैंक समूह और क्षेत्रीय विकास बैंक प्रतिस्पर्धा से अलग रहकर सहयोगी की भूमिका निभा सकते हैं।

3) संयोजक की भूमिका निभाएं

अंतरराष्ट्रीय वित्त प्रणाली में आमूल-चूल बदलाव के लिए विकास बैंकों, केंद्रीय बैंकों, नियामकों, निवेश बैंकों, पेंशन फंड, बीमा कंपनियों और निजी हिस्सेदारों को सभी को शामिल करने की जरूरत होगी।

बंगा और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा संस्थागत अंतर को दूर कर निजी निवेशकों और दुनिया के विकासशील देशों को ऋण देने के मामले में सबसे बड़े देश के रूप में उभरे चीन सहित प्रमुख अग्रणी देशों के सामने समन्वय की तस्वीर पेश कर सकते हैं, ताकि संकटग्रस्त देशों को दी जाने वाली मदद में तेजी लाई जा सके।

4) सबसे कमजोर के लिए बनें तारणहार

दुनिया की सबसे कमजोर आबादी विश्व बैंक समूह की अंतिम लाभार्थी है। जैव विविधता को क्षति, जलवायु परिवर्तन के असर जैसे सूखा, बेतहाशा गर्मी और बाढ़ का सामना करने वाले लोगों के लिए मौजूदा वित्तीय प्रणाली द्वारा की जा रही मदद अपर्याप्त है।

विश्व बैंक समूह का प्रबंधन अब भी बोर्ड द्वारा अनुमोदित ऋण देने की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करता है, न कि कर्ज के असर, सलाह और सहायता के आधार पर।

विश्व बैंक के नेता अपने पूरे इतिहास में कमजोर देशों की बेहतर मदद करने के लिए तेजी से बदलाव करने में सक्षम रहे हैं और वे अपने अंतिम पायदान पर मौजूद लाभार्थियों की जरूरतों तथा दुनिया की ओर से निर्धारित लक्ष्यों के करीब रहते हैं।

विश्व बैंक के अगले अध्यक्ष उठापटक के दौर में यह पद संभालेंगे। बंगा जटिल परिस्थितियों के मिल रहे संकेतों को समझ रहे हैं। संस्थान के लिए यह असामान्य क्षण है जबकि इसके नेता से उम्मीदें कहीं ज्यादा हैं।

 










संबंधित समाचार