आम चुनाव लड़ने के लिये इमरान खान को अदालत से नहीं मिली राहत

डीएन ब्यूरो

पाकिस्तान की जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को अगले महीने होने वाले आम चुनाव लड़ने के लिए बुधवार को अदालत से कोई राहत नहीं मिल पाई।

अदालत से नहीं मिली राहत
अदालत से नहीं मिली राहत


लाहौर: पाकिस्तान की जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को अगले महीने होने वाले आम चुनाव लड़ने के लिए बुधवार को अदालत से कोई राहत नहीं मिल पाई।

लाहौर उच्च न्यायालय (एलएचसी) के अपीली न्यायाधिकरण ने देश के पंजाब प्रांत में दो नेशनल असेंबली निर्वाचन क्षेत्रों के लिए पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के संस्थापक के नामांकन पत्रों को खारिज करने के निर्वाचन अधिकारियों (आरओ) के फैसले को बरकरार रखा।

पाकिस्तान में आठ फरवरी को चुनाव होने हैं।

न्यायाधिकरण के न्यायमूर्ति तारिक नदीम और न्यायमूर्ति अबुल अजीज ने क्रमशः लाहौर की एनए-122 और मियांवाली एनए-89 सीटों पर फैसले की घोषणा की। खान ने 2018 के चुनावों में अपने गृहनगर की दोनों सीटें जीती थीं।

अदालत के एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया, “दोनों न्यायाधीशों ने निर्वाचन अधिकारी के फैसले के खिलाफ खान की अपील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उन्हें (खान) तोशाखाना (राष्ट्रीय खजाने के उपहार) मामले में दोषी ठहराया गया है। उनकी दोषसिद्धि को निलंबित कर दिया गया है लेकिन उन्हें मामले से बरी नहीं किया गया है, ऐसे में वह आठ फरवरी का चुनाव लड़ने के पात्र नहीं हैं।”

निर्वाचन अधिकारी ने 30 दिसंबर को खान और पार्टी के कई अन्य दिग्गजों की उम्मीदवारी को खारिज कर दिया था जिसे पीटीआई द्वारा “कमजोर आधार” पर खारिज किया गया कहा गया था।

खान (71) ने न्यायाधिकरण के समक्ष दलील दी थी कि तोशाखाना मामले की दोषसिद्धि के संविधान के अनुच्छेद 62 (1एफ) के तहत ‘गैर ईमानदार और सही नहीं’ होने के कारण उनकी अयोग्यता से कोई संबंध नहीं है, इसलिए उनके नामांकन पत्र को खारिज नहीं किया जा सकता है।

खान द्वारा न्यायाधिकरण के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देने की संभावना है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार पीटीआई के अध्यक्ष एडवोकेट गौहर खान ने कहा कि खान और अन्य मुख्य पीटीआई नेताओं को चुनाव लड़ने से रोकना अधिकार का और प्रक्रिया का सबसे खराब दुरुपयोग है। उन्होंने कहा, “हालांकि, चाहे कुछ भी हो हम चुनाव लड़ेंगे।”










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