स्टार्टअप और नये जमाने की कंपनियों में कैसे जुटेगी पूंजी?

डीएन ब्यूरो

वित्त विधेयक में ‘एंजल कर’ के प्रावधान से देश में स्टार्टअप पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव अनुराग जैन ने मंगलवार को यह बात कही। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

डीपीआईआईटी के सचिव अनुराग जैन (फाइल फोटो)
डीपीआईआईटी के सचिव अनुराग जैन (फाइल फोटो)


मुंबई: वित्त विधेयक में ‘एंजल कर’ के प्रावधान से देश में स्टार्टअप पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव अनुराग जैन ने मंगलवार को यह बात कही।

जैन ने आईबीवीसीए के कार्यक्रम में कहा कि विभाग के साथ पंजीकृत स्टार्टअप इकाइयां इसके दायरे में नहीं आएंगी।

उद्यम पूंजी उद्योग के लिये जनसंपर्क का काम करने वाले समूह के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘एक चीज मैं स्पष्ट कर दूं कि इससे कम-से-कम स्टार्टअप पर असर नहीं पड़ेगा।’’

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सचिव ने कहा कि वित्त विधेयक में प्रावधान पूरी तरह से स्पष्ट है। इसमें कहा गया है कि डीपीआईआईटी से मान्यता प्राप्त स्टार्टअप प्रस्ताव के दायरे से बाहर हैं। स्टार्टअप को मान्यता देने की प्रक्रिया भी काफी सरल है। आवेदनकर्ता को यह स्वत: प्राप्त होता है।

डाइनामाइट न्यूज़ के संवाददाता के अनुसार, आयकर अधिनियम की धारा 56(2) सात बी में संशोधनों के माध्यम से वित्त विधेयक में नियमों में प्रस्तावित परिवर्तनों के कारण स्टार्टअप चिंतित हैं। इसमें विदेशी निवेशकों को भी कर के दायरे में शामिल करने का प्रस्ताव है। इसके तहत, अगर कोष शेयर के अंकित मूल्य से ऊपर प्राप्त होता है, विदेशी निवेशक से धन जुटाने वाला स्टार्टअप भी आयकर का भुगतान करने के लिये उत्तरदायी होगा।

जैन ने कहा कि ऐसे अन्य मुद्दे हैं जो उद्यम पूंजी निवेश करने वाले समुदाय ने उठाये हैं और उन्हें समीक्षा के लिए राजस्व विभाग के समक्ष रखा गया है। हालांकि, उन्होंने उन मुद्दों के बारे में और जानकारी नहीं दी।

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उन्होंने कहा कि हमें यह देखने की जरूरत है कि स्टार्टअप और नये जमाने की कंपनियों में घरेलू पूंजी को कैसे जुटाया जाए।

इस मोर्चे पर पहले ही बदलाव हो चुके हैं। इसके तहत दीर्घावधि पेंशन और बीमा कोष को वैकल्पिक निवेश कोषों में निवेश की अनुमति देना शामिल है।

जैन ने कहा, ‘‘भारत 2047 तक एक विकसित देश होगा और एक अनुमान के अनुसार अर्थव्यवस्था का आकार उस समय 30,000 अरब डॉलर होगा। इस लिहाज से भारत उस समय दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो सकता है।’’










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