Himachal: सिरमौर में हाटी समुदाय के सबसे बड़े वार्षिक त्योहार शुरू, जानिये इसकी खास बातें
सिरमौर जिले में हाटी समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला सबसे बड़ा वार्षिक त्योहार 'बड़ा त्योहार' आज से शुरू हो गया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नाहन: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में हाटी समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला सबसे बड़ा वार्षिक त्योहार 'बड़ा त्योहार' बुधवार को शुरू हो गया। यह पर्व एक महीने तक चलेगा।
सिरमौर जिला क्षेत्र की 154 पंचायतों में रहने वाले हाटी समुदाय के लोग इस त्योहार के दौरान परंपराओं के अनुसार अपने स्थानीय देवता को एक बकरा चढ़ाते हैं।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार पहले, ग्रामीण सांझा आंगन (साझा आंगन) में 'भातियोज' पर बकरों की बलि देते थे, जहां स्थानीय देवता 'थारी देवी' का मंदिर स्थित है।
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हाटी समुदाय के रीति-रिवाजों पर शोध करने वालीं नीतू चौहान का कहना है कि इस दिन गांव के हर घर में बकरे का मांस पकाया जाता है। शाम को खाना खाने के बाद सभी ग्रामीण इकट्ठा होते हैं और सुबह तक पारंपरिक संगीत पर नाचते-गाते हैं।
नीतू चौहान के मुताबिक भातियोज की इस रात, जिसे 'साजे की रात' भी कहा जाता है, उस दौरान रात के हर 'प्रहर' (तीन घंटे) के दौरान विशेष गीत गाए जाते हैं और वहां मौजूद सभी लोगों पर 'छड़ा' (गाय के गोबर, मूत्र, दूध, घी, दही और गंगा जल का मिश्रण) छिड़का जाता है।
यह त्योहार हाटी समुदाय में महिलाओं के महत्व का भी प्रतीक है और अगली सुबह, सभी भाई अपनी विवाहित बहन के घर 'साजे का दूना' (मांस, गुड़ और गेहूं के आटे का मिश्रण) साझा करने जाते हैं।
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एक महीने तक चलने वाले इस त्योहार के दौरान, विवाहित महिलाएं अपने हिस्से का मांस खाने और उत्सव में भाग लेने के लिए अपने माता-पिता के घर जाती हैं।
आंज भोज क्षेत्र के एक सामाजिक कार्यकर्ता ओम प्रकाश ने बताया कि त्योहार के आठवें दिन 'खोड़ा' से भाईचारे की परंपरा शुरू होती है। ग्रामीण अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को रात्रि भोज पर आमंत्रित करते हैं।
राज्य सरकार ने एक जनवरी को हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की अधिसूचना जारी की थी। हालांकि, बमुश्किल तीन दिन बाद ही हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने इस अधिसूचना पर रोक लगाते हुए एक अंतरिम आदेश जारी कर दिया।