Gyanvapi Survey: मुस्लिम पक्ष ने ज्ञानवापी सर्वे को लेकर कोर्ट में दी नई अर्जी, जानिये क्या है मांग
ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली संस्था अंजुमन इंतज़ामिया मसाजिद कमेटी ने ज्ञानवापी परिसर में जारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के सर्वे को लेकर भ्रामक खबरें फैलाये जाने का आरोप लगाते हुए जिला अदालत में सर्वे की मीडिया कवरेज पर रोक लगाने की अर्जी दी है। इस पर बुधवार को सुनवाई हो सकती है। पढ़िए पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर।
वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली संस्था अंजुमन इंतज़ामिया मसाजिद कमेटी ने ज्ञानवापी परिसर में जारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के सर्वे को लेकर भ्रामक खबरें फैलाये जाने का आरोप लगाते हुए जिला अदालत में सर्वे की मीडिया कवरेज पर रोक लगाने की अर्जी दी है। इस पर बुधवार को सुनवाई हो सकती है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, कमेटी के संयुक्त सचिव सैयद मोहम्मद यासीन ने कहा कि अदालत के निर्देश पर ज्ञानवापी परिसर में पुरातात्विक सर्वे का काम किया जा रहा है। सर्वे की टीम या उसके किसी अधिकारी की तरफ से अब तक कोई बयान नहीं आया है, लेकिन सोशल मीडिया, अखबार और चैनल सर्वे के बारे में लगातार भ्रामक ख़बरें चला रहे हैं।
यह भी पढ़ें |
Gyanvapi Masjid Survey: ज्ञानवापी मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट देने पर बड़ा अपडेट, जानिये वाराणसी की कोर्ट कब लेगी फैसला
यासीन ने कहा कि इन गलत खबरों से जनमानस पर गलत प्रभाव पड़ेगा इसलिए इस तरह के समाचारों को प्रकाशित-प्रसारित होने से रोका जाए। इसके लिए कमेटी ने जिला न्यायाधीश ए. के. विश्वेश की अदालत में मंगलवार को प्रार्थना पत्र दिया है। इस पर आज दोपहर बाद सुनवाई हो सकती है।
मुस्लिम पक्ष इससे पहले भी सर्वेक्षण को लेकर झूठी खबरें प्रसारित किए जाने का आरोप लगाते हुए सर्वे प्रक्रिया से अलग होने की चेतावनी दे चुका है।
यह भी पढ़ें |
Varanasi: ज्ञानवापी केस में कोर्ट का बड़ा फैसला, सभी पक्षकारों को ASI रिपोर्ट सौंपने के आदेश
यासीन ने आरोप लगाया कि शनिवार को सर्वेक्षण के दौरान मीडिया के एक वर्ग ने अफवाह फैलाई कि मस्जिद के अंदर तहखाने में मूर्तियां, त्रिशूल और कलश मिले हैं। अगर इस तरह की हरकतों पर लगाम नहीं लगी, तो मुस्लिम पक्ष सर्वेक्षण का बहिष्कार कर सकता है।
जिला अदालत ने पिछले महीने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का एएसआई सर्वे कराने की अनुमति दी थी। उच्चतम न्यायालय और इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी निचली अदालत के निर्णय को बहाल रखा। यह सर्वे इस बात का पता लगाने के लिये किया जा रहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण किसी मंदिर को ढहाकर तो नहीं किया गया है।