GTRI: कर छूट योजनाओं के लिए निर्यातकों को नकद वापस देने पर विचार करे सरकार
सरकार निर्यातकों को कर छूट योजनाओं के लिए ‘स्क्रिप’ के बजाय नकद वापस देने पर विचार कर सकती है, क्योंकि इससे उनके लिए नकदी प्रवाह में तुरंत सुधार होगा। आर्थिक शोध संस्थान जीटीआरआई ने मंगलवार को यह बात कही। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नयी दिल्ली: सरकार निर्यातकों को कर छूट योजनाओं के लिए ‘स्क्रिप’ के बजाय नकद वापस देने पर विचार कर सकती है, क्योंकि इससे उनके लिए नकदी प्रवाह में तुरंत सुधार होगा। आर्थिक शोध संस्थान जीटीआरआई ने मंगलवार को यह बात कही।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक वर्तमान में निर्यातित उत्पादों पर शुल्क तथा करों में छूट (आरओडीटीईपी) योजना और राज्य तथा केंद्रीय करों एवं शुल्क में छूट (आरओएससीटीएल) योजना के तहत ‘स्क्रिप’ के रूप धन राशि वापस की जाती है। इसका इस्तेमाल आयात के समय मूल सीमा शुल्क का भुगतान करने के लिए किया जा सकता है।
‘स्क्रिप’ को अन्य आयातकों को बेचा जा सकता है, जो बाद में मूल सीमा शुल्क के भुगतान के लिए नकदी के बजाय ‘स्क्रिप’ का इस्तेमाल कर सकते हैं।
ये योजनाएं भारतीय निर्यातकों को चुनिंदा केंद्रीय तथा राज्य शुल्क को ही वापस (रिफंड) करती है।
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ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के अनुसार, ‘‘ निर्यातकों को आरओडीटीईपी और आरओएससीटीएल का बकाया नकद में लौटाएं न कि ‘स्क्रिप’ के रूप में। इससे 2024 के लिए कमजोर निर्यात परिदृश्य का सामना कर रहे हजारों निर्यातकों के नकदी प्रवाह में तुरंत सुधार होगा।’’
जीटीआरआई के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ कई छोटे मूल्य के ‘स्क्रिप’ का इस्तेमाल हो ही नहीं पाता। इस प्रकार छोटे निर्यातक को घोषित प्रोत्साहन से कम मिलता है।’’
उन्होंने कहा कि नकद धन वापसी से समुद्री, चमड़ा, रत्न व आभूषण, कृषि और इलेक्ट्रिकल/इलेक्ट्रॉनिक, मोटर वाहन, मशीनरी और प्लास्टिक जैसे रोजगार-उन्मुख क्षेत्रों के हजारों निर्यातकों को मदद मिलेगी।
श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ नकद लौटाने से निर्यातकों की वित्तीय स्थिरता में तुरंत सुधार होगा। सीधे नकद वितरण से रियायती ‘स्क्रिप’ बिक्री की आवश्यकता खत्म हो जाएगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि निर्यातकों को उनके ‘रिफंड’ का पूरा मूल्य प्राप्त होगा।’’
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उन्होंने कहा कि छोटी कंपनियां जो भारत की निर्यात अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं उन्हें इससे विशेष लाभ होगा। इससे उन्हें वैश्विक स्तर पर अधिक प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी।
‘स्क्रिप’ एक प्रकार की वैकल्पिक या स्थानापन्न मुद्रा है जिसे केवल एक निश्चित कंपनी में ही भुनाया जा सकता है।