गो फर्स्ट संकट से भारतीय विमानन क्षेत्र की वृद्धि रफ्तार नहीं बदलेगी: बोइंग

डीएन ब्यूरो

अमेरिकी विमान विनिर्माता बोइंग ने शुक्रवार को कहा कि गो फर्स्ट संकट से भारतीय विमानन क्षेत्र की वृद्धि रफ्तार प्रभावित नहीं होगी।पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

(फाइल फोटो )
(फाइल फोटो )


नयी दिल्ली: अमेरिकी विमान विनिर्माता बोइंग ने शुक्रवार को कहा कि गो फर्स्ट संकट से भारतीय विमानन क्षेत्र की वृद्धि रफ्तार प्रभावित नहीं होगी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार बोइंग के मुताबिक भारत में नागर विमानन बाजार की वृद्धि और वृहद रुझानों में कोई बदलाव नहीं आएगा तथा विमान पट्टे पर देने के पहलुओं पर कानूनी स्पष्टता से पट्टे पर विमान देने वाली कंपनियों को राहत मिलेगी।

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा और तेजी से बढ़ रहा विमानन बाजार है। एक अनुमान के मुताबिक भारतीय विमानन कंपनियों को अगले 20 वर्षों में 2,200 से अधिक विमानों की जरूरत होगी।

नकदी संकट से जूझ रहे गो फर्स्ट के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करने के मद्देनजर बोइंग इंडिया के अध्यक्ष सलिल गुप्ते ने कहा कि जब कोई एयरलाइन वित्तीय चुनौतियों का सामना करती है, तो इससे प्रबंधन, कर्मचारी तथा सभी संबद्ध पक्ष प्रभावित होते हैं और समग्र परिवहन अवसंरचना पर इसका दबाव पड़ता है।

यह पूछने पर कि क्या गो फर्स्ट संकट का देश के विमानन बााजर पर प्रभाव पड़ेगा, गुप्ते ने कहा कि उन्हें ऐसा नहीं लगता है और वृद्धि जारी रहेगी।

उन्होंने कहा, ''आमतौर पर, हम ऐसा नहीं मानते हैं कि वृद्धि और वृहद रुझानों के संदर्भ में बाजार में बदलाव होगा... प्रगति कभी भी एक सीधी रेखा में नहीं होती है और उतार-चढ़ाव हमेशा होते हैं।''

बोइंग इंडिया के प्रमुख ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा, ''गो फर्स्ट आज जिन चुनौतियों से गुजर रही है, उनके बावूजद भारत में वृद्धि जारी रहेगी।''

इस बीच, विमान पट्टेदारों ने गो फर्स्ट के खिलाफ शुरू की गई दिवाला कार्यवाही के बारे में चिंता जताई है, क्योंकि ऐसे में उन्हें संकटग्रस्त विमानन कंपनी को पट्टे पर दिए गए विमानों को वापस लेने से रोक दिया गया है। भारत में, घरेलू एयरलाइंस ज्यादातर पट्टे पर विमान लेती हैं।

इस बारे में गुप्ते ने कहा कि केप टाउन सम्मेलन के संदर्भ में पट्टे पर लिए गए विमानों पर कानूनी स्पष्टता से पट्टेदारों को सुविधा मिलेगी।

उन्होंने कहा कि हवाई जहाज एक महंगी संपत्ति है और पट्टेदार वास्तव में यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनकी संपत्ति उन्हें मिल सके।

 










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