Former CJI UU Lalit: पूर्व मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित ने न्यायपालिका की मौजूदा चुनौतियों को लेकर कही ये बड़ी बातें

डीएन ब्यूरो

भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश यू.यू. ललित ने कहा है कि न्यायपालिका ने चुनौती और हस्तक्षेप के प्रयासों का सामना किया है लेकिन इनसे उचित रूप से निपटते हुए अपनी स्वतंत्रता सुनिश्चित है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

पूर्व प्रधान न्यायाधीश यू.यू. ललित
पूर्व प्रधान न्यायाधीश यू.यू. ललित


कोलकाता: भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश यू.यू. ललित ने कहा है कि न्यायपालिका ने चुनौती और हस्तक्षेप के प्रयासों का सामना किया है लेकिन इनसे उचित रूप से निपटते हुए अपनी स्वतंत्रता सुनिश्चित है।

न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि एक फलते-फूलते लोकतंत्र के लिए एक स्वतंत्र न्यायपालिका होनी चाहिए, क्योंकि विवादों के समाधान के माध्यम से ही समाज को कानून के शासन के अनुसार चलने का आश्वासन दिया जाता है।

उन्होंने कहा, “न्यायपालिका आज विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रही है। इसलिए, हमें एक न्यायिक बिरादरी के रूप में मजबूत होना होगा।’’

भारत चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा शनिवार शाम को 'स्वतंत्र न्यायपालिका: जीवंत लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण' विषय पर आयोजित एक संगोष्ठी में उन्होंने कहा कि ऐसे उदाहरण हैं, जिनमें अदालत के फैसलों में कार्यपालिका का हस्तेक्षप देखा गया है, लेकिन इनसे उचित तरीके से निपटते हुए न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित की गई है।

न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि विवाद के समाधान के लिए निष्पक्षता, तर्कशीलता और पूर्ण सत्यनिष्ठा न्यायपालिका की स्वतंत्रता के गुण हैं।

उन्होंने कहा, “किला कभी अंदर से नहीं गिराया जाता।”

पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि अभिव्यक्ति के जरिये जिला न्यायपालिका की रक्षा की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि जिला न्यायपालिका राज्य में उच्च न्यायालय को छोड़कर किसी के नियंत्रण में नहीं होती।

उन्होंने कहा, “उनकी सभी तैनाती, पदोन्नति, नियुक्तियां और यहां तक ​​कि तबादले भी उच्च न्यायालयों की सिफारिश पर ही होने चाहिए।”

उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश हिमा कोहली ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता केवल एक सिद्धांत नहीं, बल्कि एक नैतिक अनिवार्यता है।

उन्होंने कहा, “एक स्वतंत्र न्यायपालिका की प्रासंगिकता को बढ़ा-चढ़ाकर पेश नहीं किया जा सकता, खासकर भारत जैसे देश में, जो सिर्फ एक लोकतांत्रिक गणराज्य नहीं, बल्कि संविधान में इसे एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में वर्णित किया गया है।”

न्यायमूर्ति कोहली ने कहा कि संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए न्यायपालिका को स्वतंत्र व निष्पक्ष होना चाहिए।










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