IAS Jitendra Narain: अंडमान निकोबार के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण को गैंगरेप केस में मिली जमानत
अंडमान निकोबार के पूर्व मुख्य सचिव और निलंबित आईएएस जितेंद्र नारायण को गैंगरेप केस में जमानत मिल गई है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय की पोर्ट ब्लेयर पीठ ने 21 वर्षीय युवती द्वारा दायर बलात्कार के मामले में अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण को सोमवार को जमानत दे दी।
न्यायमूर्ति चितरंजन दास और न्यायमूर्ति मोहम्मद निजामुद्दीन की खंडपीठ ने नारायण को सशर्त जमानत दी।
बलात्कार पीड़िता का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता पथिक चंद्र दास ने बताया कि वह जमानत आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख करेंगे।
दास ने कहा, “नारायण को सशर्त जमानत दी गई है। इनमें जब तक न बुलाया जाए तब तक अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में प्रवेश नहीं करने, गवाह को प्रभावित करने के लिए अधिकारियों का इस्तेमाल नहीं करने, किसी भी अधिकारी और पीड़ित पक्ष को फोन नहीं करने, पासपोर्ट जमा कराने और विदेश नहीं जाने की शर्त शामिल है।
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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक विशेष जांच दल (एसआईटी) युवती को सरकारी नौकरी का झांसा देकर मुख्य सचिव के आवास पर ले जाए जाने और उसके बाद नारायण समेत कई लोगों द्वारा कथित तौर पर बलात्कार किए जाने के आरोपों की जांच कर रहा है।
नारायण को पिछले साल 10 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। मामले में एक अक्टूबर को प्राथमिकी दर्ज की गई थी, उस समय वह दिल्ली वित्तीय निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक थे। 17 अक्टूबर को सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया था।
मोनिका भारद्वाज की अध्यक्षता वाली एसआईटी ने तीन फरवरी को मामले में 935 पृष्ठ का आरोप पत्र दायर किया था।
पुलिस ने कहा कि नारायण, कारोबारी संदीप सिंह उर्फ रिंकू और निलंबित श्रम आयुक्त ऋषिश्वरलाल ऋषि के खिलाफ आरोप पत्र लगभग 90 गवाहों के बयानों, फोरेंसिक विज्ञान की रिपोर्ट और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य पर आधारित है।
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आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 376, 376सी, 376डी, 354, 328 और 201 के तहत मामला दर्ज किया गया था। इसके अलावा आरोप पत्र में आईपीसी की धारा 506, 120बी, 500 और 228ए भी शामिल हैं।
आरोप है कि नारायण ने पद का दुरुपयोग करते हुए पिछले साल अपने सरकारी आवास पर सबूतों को नष्ट किया।