सावन स्पेशल: फतेहपुर का ऐतिहासिक जागेश्वर धाम..जहां भोलनाथ पूरी करते हैं भक्तों की मुराद

डीएन संवाददाता

सावन के पवित्र महीने में हर सोमवार को गाजीपुर अशोथर रोड में स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिर जागेश्वर धाम भोलेनाथ के भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। भगवान शिव के दर्शन के लिये यहां सुबह से लेकर देर शाम तक भक्तों का तांता लगा रहता है। जाने इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्व

जागेश्वर धाम
जागेश्वर धाम


फतेहपुर: यूं तो पूरा सावन माह को ही भगवान शिव का महीना माना जाता है लेकिन इस महीने में सोमवार का विशेष महत्व है। इस मौके पर भक्त शिव मंदिरों में जाकर जलाभिषेक कर भगवान शिव का आशीर्वाद लेते है, लेकिन कुछ ऐसे भी मंदिर है, जहां भोलेनाथ खुद विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देते हैं और उनकी मनोकामना पूर्ण करते हैं।

फतेहपुर में गाजीपुर अशोथर रोड में स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिर जागेश्वर धाम भी अति पौराणिक महत्व का मंदिर है। कहा जाता है कि यहां विराजमान भगवान शिव भक्तों की हर मुराद पूरी करते है। इसलिये सावन माह में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। दूसरे सोमवार को यहां सुबह से ही भक्तों की भारी उमड़ रही है। चारों तरफ बम-बम भोले के जयकारों से पूरा माहौल शिवमय बना हुआ है। 

 

 

शहर से 35 किलोमीटर गाजीपुर अशोथर रोड पर स्थित यह मंदिर काफी आध्यात्मिक और पौराणिक महत्व का है। यह मंदिर 125 साल पुराना बताया जाता है। इस मंदिर की कई आध्यात्मिक विशेषताएं है। 

पाताल से निकला शिवलिंग

डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत करते हुए मंदिर की देख-रेख करने वाले राजेश गोस्वामी ने बताया कि कभी यहां बहुत बड़ा और घना जंगल हुआ करता था। स्थानीय लोग यहां अपने जानवरों को चराते थे। यहां मौजूद शिवलिंग को लोग पहले महज एक पत्थर समझते थे। धीरे धीरे लोगों को ये पता लगा कि ये तो पाताल से निकली हुई मूर्ति शिवलिंग है, तो लोग उसकी पूजा करने लगे।

शिवलिंग खींचने वाले हाथी की मौत

इस शिवलिंग की जानकारी जब अशोथर के तत्कालीन राजा को हुई तो उन्होंने इस शिवलिंग को खुदवाकर अशोथर ले जाना चाहा और शिवलिंग को निकालने के लिए मूर्ति में लोहे की जंजीरों को बांधकर हाथियों से खिंचवाया लेकिन मूर्ति अपनी जगह से टस से मस नहीं हुई और थक हारकर राजा वापस लौट गए। लौटते समय शिवलिंग को खींचने वाले हाथी की रास्ते में ही मौत हो गई।

भोलेनाथ करते हर मुराद पूरी

इस शिवलिंग की महिमा को देखकर भागलपुर के एक व्यवसायी ने इस मंदिर का निर्माण लगभग 125 बर्ष पहले कराया था। राजेश गोस्वामी ने बताया कि प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के मौके पर इस मंदिर में मेला लगता है, जो कि 15 दिनों तक लगातार चलता है। उन्होंने कहा कि यहां बड़ी संख्या में शिव भक्त आते हैं। माना जाता है कि यहां मन से शिव की पूजा-अर्चना करने वालों की भगवान भोलेनाथ हर मुराद पूरी करते हैं।  
 










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