दुनियाभर में आदिवासियों की भाषा को लेकर विशेषज्ञ ने किया बड़ा खुलासा, जानिये कितनी भाषाएं हो चुकी विलुप्त

डीएन ब्यूरो

विशेषज्ञों ने बुधवार को कहा कि दुनियाभर में आदिवासियों द्वारा बोली जाने वाली बोलियों समेत 7,000 भाषाओं में से लगभग 40 प्रतिशत विलुप्त हो चुकी हैं और कई अन्य लुप्त होने के कगार पर हैं। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

आदिवासियों  की भाषाये हुई विलुप्त
आदिवासियों की भाषाये हुई विलुप्त


भुवनेश्वर: विशेषज्ञों ने बुधवार को कहा कि दुनियाभर में आदिवासियों द्वारा बोली जाने वाली बोलियों समेत 7,000 भाषाओं में से लगभग 40 प्रतिशत विलुप्त हो चुकी हैं और कई अन्य लुप्त होने के कगार पर हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, साहित्य अकादमी के सचिव डॉक्टर के. श्रीनिवासराव ने कहा कि दुनिया भाषाओं के विलुप्त होने के खतरे का सामना कर रही है, जिनमें से कई को विलुप्तप्राय भाषाओं के तौर सूचीबद्ध किया जा चुका है और भाषाओं का विलुप्त होना संस्कृति के विलुप्त होने के समान है।

वह यहां एक निजी विश्वविद्यालय, शिक्षा 'ओ' अनुसंधान (एसओए) में नौ अगस्त को मनाए जाने वाले विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आयोजित अखिल भारतीय जनजातीय लेखक सम्मेलन के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

दो दिवसीय सम्मेलन में देश के विभिन्न हिस्सों से लगभग 70 आदिवासी लेखकों ने हिस्सा लिया। साहित्य अकादमी ने भारत की प्राचीन संस्कृति और विरासत के संरक्षण, प्रसार और पुनर्स्थापना केंद्र (प्राचीन) के सहयोग से सम्मेलन का आयोजन किया था।

साहित्य अकादमी के संथाली सलाहकार बोर्ड के संयोजक चैतन्य प्रसाद मांझी ने कहा कि दुनिया की 7,000 भाषाओं में से लगभग 40 प्रतिशत विलुप्त हो चुकी हैं।

उन्होंने कहा कि यूनेस्को ने उनके संरक्षण और प्रसार के लिए 2022 से 2032 के बीच के वर्षों को स्वदेशी भाषाओं का अंतरराष्ट्रीय दशक घोषित किया है।










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