Uttar Pradesh: चंबल कटहल महोत्सव में पर्यटकों ने उठाया इन चीजों का लुत्फ, जमकर की मस्ती
नदियों के संगम पर आयोजित चंबल कटहल महोत्सव के दौरान पर्यटकों ने जम कर मस्ती की और पहली दफा चंबल मे राफ्टिंग का लुफ्त उठाया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
इटावा: पांच नदियों के संगम पर आयोजित चंबल कटहल महोत्सव के दौरान पर्यटकों ने जम कर मस्ती की और पहली दफा चंबल मे राफ्टिंग का लुफ्त उठाया।
महोत्सव के दौरान योग के विविध आसन तो कराये ही गये, साथ ही पांच नदियों के अहम सिंध नदी में राफ्टिंग की गई। सिंध नदी की धार राफ्टिंग मुफ़ीद है जो रोमांच से भर देती है। ये पहला मौका था जब नदियों के इस संगम के किनारे कटहल फेस्टिवल का आयोजन हुआ।इस दौरान न सिर्फ कटहल के बारे में, बल्कि कटहल के उत्पादन के बारे में भी लोगों ने जानकारी ली।
सुबह योगा कराया गया. कई सैलानी पंचनद के किनारे रात में कैम्पिंग करते हुए रुके भी। चंबल फाउंडेशन चंबल घाटी की सकारात्मक पहचान विश्व के सामने लाने की लगातार कई वर्षों से भागीरथ प्रयास कर रहा है. चंबल की खूबसूरत को निहारने दूरदराज से सैलानी आ रहे है।चंबल कटहल फेस्टिवल के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए सुमित प्रताप सिंह ने कहा कि आने वाले वर्षों में इस फेस्टिवल की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई देगी. चम्बल के कटहल के लजीज खानों का लुत्फ़ लेने के लिए विदेशी सैलानी खिंचे चले आएंगे.
चंबल कटहल फेस्टिवल में कई प्रदेशों से लाए गए कटहलों की प्रदर्शनी लगाई गई. जहां चंबल के बीहड़ में पैदा हुआ सबसे बड़े साइज का कटहल देखने के बाद दर्शकों ने दांतों तले उंगली दबा ली. वहीं, थाईलैंड के रंगीन कटहल ने लोगों में रोमांच भर दिया।विश्व में कटहल की मांग को देखते हुए बीहड़वासियों से इसका पौधा लगाने की अपील की गई.
दरअसल ब्रिटिश काल में चम्बल में बड़े पैमाने पर कटहल की खेती होती थी. हत्या जैसे संगीन जुर्म में कटहल के पांच पेड़ों पर जमानत मिल जाती थी. हैरानी की बात है कि चम्बल घाटी में पका कटहल नहीं खाया जाता है. जबकि केला और अनानास के स्वाद जैसा पका कटहल खाने का देश में खूब चलन है। (वार्ता)