सुप्रीम कोर्ट की सीनियर एडवोकेट ज्योतिका कालरा बोलीं- फ्री बीज से सामाजिक न्याय नहीं मिल सकता, शिक्षा बड़ा मानवाधिकार
सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की पूर्व सदस्य ज्योतिका कालरा ने डाइनामाइट न्यूज़ से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि आर्थिक न्याय के बिना सामाजिक न्याय नहीं मिल सकता है। उन्होंने राजनीतिक दलों द्वारा की जाने वाली मुफ्त की घोषणाओं को इंसान को निकम्मा बनाने वाला भी करार दिया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
नोएडा: सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की पूर्व सदस्य ज्योतिका कालरा ने डाइनामाइट न्यूज़ से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि शिक्षा का अधिकार हमारा मौलिक अधिकार तो है ही लेकिन यह एक बड़ा मानवाधिकार भी है। शिक्षा कई अन्य अधिकारों से अलग और महत्वपूर्ण अधिकार है। उन्होंने यह भी कहा कि फ्री बीज (मुफ्त चीजें देने) से सामाजिक न्याय नहीं मिल सकता।
ज्योतिका कालरा ने सक्षम रोजगार सोसायटी के उद्घाटन के मौके पर ये बातें कहीं। ज्योतिका कालरा हाल ही में गठित सक्षम रोजगार सोसायटी की अध्यक्ष भी हैं। सक्षम रोजगार सोसायटी के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि मनु डोगरा, एमडी, नेटकेरट्स प्रा. लि. रहे।
बतौर मुख्य अतिथि समारोह को संबोधित करते हुए मनु डोगरा ने नेटकेरट्स की स्थापना के अनुभवों और सफलताओं को साझा करते हुए कहा कि वर्ष 2000 में जब डॉट कॉम युग की शुरुआत हुई और उन्होंने इस क्षेत्र में एंटरप्रेन्योरशिप अपनाने के अपने फैसले से घर वालों को अवगत कराया तो पास-पड़ोस के लोग भी हैरान हो गये। लोग व्यवसाय को जोखिम का सौदा बताने लगे। लेकिन वे अपने फैसले पर अड़िग रहे। मनु डोगरा ने कहा कि कोई व्यक्ति सफलता और विफलता के लिए खुद ही जिम्मेदार होता है। परिस्थितियां प्रतिकूल हों तो हमें नदी से अलग पानी की उस धारा से सीखना चाहिये, जो चट्टानों के किनारों से बहते हुए मंजिल तक पहुंच जाती है।
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समारोह को बतौर अध्यक्ष संबोधित करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ज्योतिका कालरा ने कहा कि न्याय का मतलब केवल कोर्ट से मिलने वाला न्याय नहीं होता है। न्याय का अर्थ हर क्षेत्र में, हर कार्य में मिलने वाले न्याय से है। आर्थिक न्याय, सामाजिक न्याय बेहद महत्वपूर्ण है लेकिन आर्थिक न्याय के बिना सामाजिक न्याय नहीं मिल सकता।
ज्योतिका कालरा ने देश में राजनीतिक दलों द्वारा की जाने वाली मुफ्त चीजें देने (फ्री बीज) की घोषणा पर टिप्पणी करते हुए कहा कि फ्री बीज से कभी भी सामाजिक न्याय नहीं मिल सकता। फ्री बीज इंसानी कार्य संस्कृति को प्रभावित करने वाली है। फ्री बीज लोगों को और अधिक निकम्मा बनायेगा। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा सबसे बड़ी चैरिटी है। शिक्षा बांटने से बढती है। यह संविधान में दिये गये हमारे मूल अधिकारों में शामिल हैं। जैसे बिजली से हमारी कई जरूरतें पूरी होती है, उसी तरह शिक्षा भी हमें विभिन्न तरीकों से उपयोगी है।
डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत में सक्षम रोजगार सोसायटी के लक्ष्यों के बारे में ज्योतिका कालरा ने कहा कि आज राजनीतिक दल दावा करते हैं कि हम नौकरियां देंगे, इतनी देंगे। लेकिन असल में नौकरियां हम देंगे। हमें बहुत से युवा मिलते हैं, जो कहते हैं कि उन्हें नौकरी चाहिये। नियोक्ताओं और उद्योगपतियों की से एक आम शिकायत मिलती है कि उन्हें काम करने वाले अच्छे व स्किल्ड यूथ नहीं मिलते हैं। सामाजिक कार्यों से पहले से ही लगाव रहा। वकालत और मानवाधिकार से जुड़े रहने के साथ ही अब मन में आया कि अब हम पब्लिक को कुछ देने के काम करें। लोगों को सीधे सेवाएं देने के लिए हमने सक्षम रोजगार सोसायटी बनाई, जिसके जरिये हम तमाम क्षेत्रों में लोगों को, युवाओं को रोजगार के नये अवसर उपलब्ध कराएंगे।
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सक्षम रोजगार सोसायटी का उद्देश्य रोजगार और उद्यमिता को बढ़ावा देना और प्रोत्साहित करना है। हमारा फोकस एरिया एजूकेशन, ट्रेनिंग और स्किल डवलपमेंट रहेगा। हम विषय आधारित प्रशिक्षण पर ध्यान देंगे। किस क्षेत्र में क्या जरूरत है, क्या मांग है। उसे समझकर में युवाओं को प्रशिक्षण देंगे। इसमें डोमेस्टिक हेल्प से लेकर बड़े-बड़े उद्यमों के लिए जरूरी प्रशिक्षण भी शामिल हैं। युवाओं को दक्ष बनाकर रोजगार उपलब्ध कराना हमारा मुख्य उद्देश्य हैं।
सक्षम रोजगार सोसायटी के उद्घाटन के मौके पर सक्षम भारती के अध्यक्ष विनोद कालरा ने उनके संगठन की यात्रा के अनुभवों और उद्देश्यों के बारे में भी बताया। इस मौके पर सक्षम भारती के प्रयासों से अलग-अलग क्षेत्रों और उद्योग जगत में एक खास मुकाम पर पहुंच चुके युवा उद्मियों ने भी अपने उद्यमिता के अनुभवों को साझा किया।बेहद कमजोर पृष्ठभूमि से आने वाली संजू सहरी ने बताया कि किस तरह सक्षम भारती की मदद से वह एक सफल वकील बनी। इसी तरह ज्योतिका कालरा और सक्षम भारती की मदद से मोहित कुमार ने एक सफल लॉजिस्टिक्स उद्यमी बनने की अपनी कहानी सुनाई।
इस मौके पर गरिमा यादव, कुसुम कुशवाह, शिवानी यादव और अभिषेक समेत पांच छात्रों को स्कॉलरशिप की राशि भी भेंट की गई।