ईडी ने राकांपा विधायक मुश्रीफ के खिलाफ धनशोधन मामले में छापेमारी की

डीएन ब्यूरो

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) विधायक हसन मुश्रीफ और अन्य के खिलाफ धनशोधन जांच के तहत महाराष्ट्र में कई परिसरों पर छापेमारी की। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

राकांपा विधायक मुश्रीफ के खिलाफ धनशोधन मामले में छापेमारी
राकांपा विधायक मुश्रीफ के खिलाफ धनशोधन मामले में छापेमारी


मुंबई: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) विधायक हसन मुश्रीफ और अन्य के खिलाफ धनशोधन जांच के तहत महाराष्ट्र में कई परिसरों पर छापेमारी की। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

ऐसा माना जा रहा है कि ये छापे मुश्रीफ से जुड़ी कुछ चीनी मिलों के संचालन में कथित अनियमितताओं से संबंधित जांच से जुड़े हैं।

उन्होंने कहा कि मुंबई, पुणे और कोल्हापुर में स्थित परिसरों में ईडी अधिकारियों द्वारा सुबह लगभग साढ़े छह बजे से तलाशी ली जा रही है।

मुश्रीफ (68) कोल्हापुर की कागल सीट से राकांपा विधायक हैं। वह पार्टी के उपाध्यक्ष भी हैं।

मुश्रीफ ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो संदेश पोस्ट कर अपने समर्थकों से उनके रिश्तेदारों, बेटी और कुछ सहकारी चीनी मिलों के परिसरों में की जा रही कार्रवाई में बाधा नहीं डालने के लिए कहा है।

बाद में उन्होंने पत्रकारों से कहा कि आयकर विभाग ने 2019 में उनके खिलाफ छापेमारी की थी, जिसके कारण उनके खिलाफ दो आरोप लगे थे- एक स्वामित्व और कुछ कंपनियों से संबंध होने के बारे में और दूसरा बेनामी संपत्ति से संबंधित था।

उन्होंने दावा किया कि दोनों मामलों में अदालतों ने कार्रवाई पर रोक लगा दी है।

उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल फैसला सुनाया था कि बेनामी लेन-देन विरोधी कानून को पूर्वव्यापी रूप से लागू नहीं किया जा सकता है।

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केंद्र सरकार ने हाल ही में इस आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता किरीट सोमैया ने 2021 में आरोप लगाया था कि पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री (मुश्रीफ) अपने परिवार के सदस्यों और कंपनियों के माध्यम से ‘बेनामी’ संस्थाओं पर अपना स्वामित्व बनाकर भ्रष्ट आचरण में लिप्त हैं।

राकांपा ने तब इन आरोपों को खारिज किया था।

मुश्रीफ ने पूछा कि क्या ईडी की कार्रवाई का उद्देश्य ‘विशेष जाति और समुदाय’ के लोगों को निशाना बनाना है।

उन्होंने कहा, ‘‘पहले (राकांपा नेता) नवाब मलिक थे, फिर मैं। किरीट सोमैया का कहना है कि कांग्रेस नेता असलम शेख के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। मुझे आश्चर्य है कि क्या उन्होंने किसी विशेष जाति या समुदाय को निशाना बनाने का फैसला किया है।’’

मुश्रीफ ने ईडी की कार्रवाई के विरोध में राकांपा कार्यकर्ताओं से कागल में बंद नहीं करने की अपील की।

उन्होंने कहा कि इसी तरह की छापेमारी पहले भी एक केंद्रीय एजेंसी द्वारा की गई थी, लेकिन कुछ भी सामने नहीं आया।

राकांपा नेता ने आरोप लगाया कि कागल के भाजपा नेताओं ने उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर दिल्ली का दौरा किया था।

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हालांकि, मुश्रीफ के समर्थकों ने कागल में प्रदर्शन किया, जिसके बाद पुलिस ने उनके आवास के पास बैरिकेड लगा दिया।

प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि ईडी की कार्रवाई गलत है।

इस बीच शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने राकांपा नेता मुश्रीफ के खिलाफ ईडी की कार्रवाई को ‘‘दबाव की राजनीति’’ करार दिया।

राउत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह कार्रवाई दबाव की राजनीति है, लेकिन मुश्रीफ इस संकट से बाहर निकल आएंगे।’’

उन्होंने कहा कि मुश्रीफ विपक्ष के नेता हैं, जो एक खास विचारधारा के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘चाहे मैं हूं, अनिल देशमुख हों या नवाब मलिक (जिन्हें अलग-अलग मामलों में ईडी द्वारा गिरफ्तार किया गया था) ... कुछ भाजपा नेताओं ने हसन मुश्रीफ को सलाखों के पीछे डालने की बात की थी। ऐसी भाषा का इस्तेमाल भावना गवली (सांसद), यशवंत जाधव (दोनों शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट के सदस्य) और कई उन महत्वपूर्ण नेताओं के खिलाफ किया गया था, जो अभी सरकार का हिस्सा हैं।

राउत ने कहा, ‘‘लेकिन उन्हें राहत मिल जाती है और जो विपक्ष में हैं, वे दबाव की राजनीति का सामना कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि मुश्रीफ एक योद्धा हैं और पूरा विपक्ष उनके साथ है।

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) गुट महाविकास आघाड़ी (एमवीए) का हिस्सा है, जिसमें राकांपा और कांग्रेस भी शामिल हैं।










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