क्या आपको भी चॉकलेट खाना पसंद है, अगर हां तो पढ़ें ये खास रिपोर्ट

आस्ट्रेलिया के लोगों द्वारा इस ईस्टर मौसम के दौरान चॉकलेट, हॉट क्रॉस बन्स और अन्य विशेष खाद्य पदार्थों पर लगभग 1.7 अरब डॉलर खर्च करने का अनुमान है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

Updated : 7 April 2023, 5:55 PM IST
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रॉकहैम्प्टन: आस्ट्रेलिया के लोगों द्वारा इस ईस्टर मौसम के दौरान चॉकलेट, हॉट क्रॉस बन्स और अन्य विशेष खाद्य पदार्थों पर लगभग 1.7 अरब डॉलर खर्च करने का अनुमान है।

चॉकलेट के उत्पादन और खपत का एक लंबा इतिहास रहा है। यह कोको बीन्स से बनाया जाता है जो किण्वन, सुखाने, भूनने समेत विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरता है।

शेष सामग्री एक प्रचुर और वसायुक्त तरल पदार्थ है। इसमें से वसा (कोकोआ मक्खन) और कोको (या कोको) पाउडर को अलग करने के लिए दबा कर सुखाया जाता है और बाद में इसे डार्क, दूध, सफेद और अन्य प्रकार के चॉकलेट बनाने के लिए विभिन्न सामग्रियों के साथ मिश्रित किया जाएगा।

इन मीठे चॉकलेट पैकेजों में कई स्वास्थ्य संबंधी लाभ और संभावित समस्याएं भी आती हैं।

अच्छी बात तो यह है कि कोको बीन्स में आयरन, पोटेशियम, मैग्नीशियम, जस्ता और फास्फोरस जैसे खनिज तथा कुछ विटामिन पाये जाते हैं। इसके अलावा वे पॉलीफेनोल्स नामक लाभकारी रसायनों से भी भरपूर होते हैं।

ये एंटीऑक्सिडेंट (प्रतिउपचायक) होते हैं। इनमें हृदय स्वास्थ्य में सुधार, नाइट्रिक ऑक्साइड (जो रक्त वाहिकाओं को पतला करता है) को बढ़ाने और रक्तचाप को कम करने, आंत के माइक्रोबायोटा के लिए भोजन प्रदान करने तथा आंत के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने एवं सूजन को कम करने की क्षमता है।

हालांकि, हम जो चॉकलेट खाते हैं उनमें पॉलीफेनोल्स की मात्रा काफी हद तक अंतिम उत्पाद में उपयोग किए जाने वाले कोको ठोस मात्रा पर निर्भर करती है।

सामान्य शब्दों में, चॉकलेट जितना गहरे रंग का होगा, उसमें उतने ही अधिक कोको ठोस, खनिज और पॉलीफेनोल्स होंगे।

उदाहरण के लिए, डार्क चॉकलेट में सफेद चॉकलेट की तुलना में लगभग सात गुना अधिक पॉलीफेनोल्स और दूध चॉकलेट की तुलना में तीन गुना अधिक पॉलीफेनोल्स हो सकते हैं।

इसका दूसरा पहलू यह है कि कोको ठोस के स्वास्थ्य लाभ, आधुनिक चॉकलेट की उच्च चीनी और वसा सामग्री के कारण आसानी से कम हो जाते हैं। उदाहरण के लिए, दूध और सफेद चॉकलेट में औसतन 50 प्रतिशत चीनी, 40 प्रतिशत वसा (ज्यादातर संतृप्त वसा) होते हैं, यानी इसमें बहुत अधिक मात्रा में कैलोरी पायी जाती है।

साथ ही चॉकलेट खाने से कुछ साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं।

कोको बीन्स में थियोब्रोमाइन नामक यौगिक शामिल होता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो चॉकलेट के कुछ स्वास्थ्य लाभों के लिए जिम्मेदार होते हैं। इसके अलावा यह एक हल्का मस्तिष्क उत्तेजक भी है जो कैफीन के समान कार्य करता है।

दूध और सफेद चॉकलेट की तुलना में डार्क चॉकलेट में थियोब्रोमाइन अधिक होता है।

लेकिन चॉकलेट में थियोब्रोमाइन की अधिक मात्रा होने से बेचैनी, सिरदर्द और मतली महसूस हो सकती है।

Published : 
  • 7 April 2023, 5:55 PM IST

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