DNA Fingerprint: सीडीएस जनरल बिपिन रावत के हेलीकॉप्टर क्रैश में मृतक सैन्य कर्मियों के शवों की इस तरह की गई पहचान

डीएन ब्यूरो

सशस्त्र बलों के कर्मियों की ‘डीएनए फिंगरप्रिंटिंग’ के तहत चरणबद्ध तरीके से एकत्र किए जा रहे रक्त नमूनों से 12 मामलों में शवों की पहचान करने में मदद मिली है, जिनमें वह हेलीकॉप्टर दुर्घटना भी शामिल है, जिसमें प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) बिपिन रावत की मृत्यु हो गई थी।

फाइल फोटो
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पुणे: सशस्त्र बलों के कर्मियों की ‘डीएनए फिंगरप्रिंटिंग’ के तहत चरणबद्ध तरीके से एकत्र किए जा रहे रक्त नमूनों से 12 मामलों में शवों की पहचान करने में मदद मिली है, जिनमें वह हेलीकॉप्टर दुर्घटना भी शामिल है, जिसमें प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) बिपिन रावत की मृत्यु हो गई थी। सशस्त्र बल स्वास्थ्य सेवा (एएफएमसी) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल दलजीत सिंह ने यह जानकारी दी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, सिंह ने पुणे स्थित एएफएमसी के प्लेटिनम जुबली समारोह से इतर पत्रकारों को यह जानकारी दी।

सिंह ने कहा कि यह एक सतत प्रक्रिया है जिसमें रक्त के नमूनों को चरणबद्ध तरीके से एकत्र करके एएफएमसी के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग में रखे गए भंडार में संग्रहित किया जा रहा है।

लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा, 'डीएनए प्रोफाइलिंग का क्या मतलब है। आप किसी व्यक्ति के रक्त की एक बूंद लेते हैं, इसे एक विशेष फिल्टर पेपर पर डालते हैं, और इसे एक रिपॉजिटरी में स्टोर करते हैं। बाद में, यदि दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना का शिकार होने पर आप किसी कारण से उस व्यक्ति की पहचान करना चाहते हैं, तो हम उसके नमूने को भंडार से प्राप्त करके शव से बरामद डीएनए के साथ इसका मिलान कर सकते हैं।'

उन्होंने कहा, 'एएफएमसी के फोरेंसिक विभाग में व्यक्तियों (सशस्त्र बलों के कर्मियों) के विशेष फिल्टर पेपर पर सूखे खून के धब्बे संग्रहीत किए जाते हैं। अब तक, 12 मामलों में, इस तकनीक का उपयोग करके शवों की पहचान की गई है, इनमें वह हेलीकॉप्टर दुर्घटना भी शामिल है, जिसमें सीडीएस जरल रावत और अन्य की मौत हो गई थी।”

आठ दिसंबर 2021 को तमिलनाडु के नीलगिरि में हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटना में जनरल रावत और उनकी पत्नी समेत 13 लोगों की मौत हो गई थी।










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